For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नतमस्तक हो 
श्रद्धानत हो 
निर्विकार हर भाव करें...
प्रश्नातीत हुए 
अपनों का 
शुद्ध मनस कर श्राद्ध करें l
.
स्थाई प्रतिक्रिया-
हीनता, ओढ़ 
अबोल जो बिम्ब हुए...
उनके ओजस 
की चादर, अदृश्य 
मगर, एहसास करें l
.
चेतन से
अवचेतन की
सीमा रेखाएं जुड़ती हैं...
स्पर्शबिन्दु 
सद्-भावों के
सद्-ऊर्जित कर सद्गात करें l
 .
नतमस्तक हो 
श्रद्धानत हो 
निर्विकार हर भाव करें...
प्रश्नातीत हुए 
अपनों का 
शुद्ध मनस कर श्राद्ध करें l
मेरे नानाजी (स्व० श्री मिलाप चंद जी ) को समर्पित 

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 3, 2013 at 12:24pm

रचना के अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आ. प्रदीप जी 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 1, 2012 at 3:44pm

निश्चित .

सादर बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 24, 2012 at 9:30am

यह पंक्तियाँ आपको पसंद आईं इस हेतु हार्दिक आभार आ. नादिर खान जी 

Comment by नादिर ख़ान on October 31, 2012 at 6:18pm

चेतन से

अवचेतन की
सीमा रेखाएं जुड़ती हैं...
स्पर्शबिन्दु 
सद्-भावों के
सद्-ऊर्जित कर सद्गात करें l
 
बहुत खूब कहा प्राची जी ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 4, 2012 at 10:57am

आपकी सराहना हेतु हार्दिक धन्यवाद आ. विनीता शुक्ला जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 4, 2012 at 10:56am

उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी

Comment by Vinita Shukla on October 4, 2012 at 10:50am

बहुत सुन्दर और परिमार्जित भाषा - शैली का प्रयोग कर, आपने एक सार्थक आह्वान किया है. बधाई एवं साधुवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2012 at 10:37am

बहुत बढ़िया रचना श्राद्ध के अवसर पर ..वाह 

इन पंक्तियों ने दिल मोह लिया ----चेतन से
अवचेतन की
सीमा रेखाएं जुड़ती हैं...
स्पर्शबिन्दु 
सद्-भावों के
सद्-ऊर्जित कर सद्गात करें ..

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2012 at 10:10pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,

आपको पितृ पक्ष पर लिखी गयी यह रचना संयत व सार्थक लगी, इससे मेरी लेखनी को मान व बल मिला है, इस हेतु हार्दिक आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2012 at 10:04pm

हार्दिक आभार आ. पियूष पन्त जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service