For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पुढील स्टेशन (लघु कथा)

तेज लोकल में मध्यम ध्वनि गूँजी, “पुढील स्टेशन अँधेरी”.

“यार ये पुढील स्टेशन का मतलब पुलिस स्टेशन है क्या”? देव ने अजय से पूछा.

अजय बोला, “पता नहीं यार. मैंने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया”.

तभी उनके बगल में खड़ा एक लड़का बोला, “तुम साला भैया लोग यहाँ बस तो जाता है, लेकिन यहाँ का लैंग्वेज सीखने में तुम्हारा नानी मरता है”.

“ए छोकरा ये बातें नेता लोग के वास्ते ही रहने देने का. उनका धंधा इसी से चलता है. हम लोग एक देश का है और अपन को मिलजुल के रहना माँगता”. वहीं बैठे बुजुर्ग ने उस लड़के को समझाया.

वह लड़का तैश में आ गया और देव का कालर पकड़कर बोला, “बाबा ये लोग यहाँ आकर भीड़ बढ़ाया और हमारा नौकरी छीन लिया. मैं तेरे को बताता है पुढील स्टेशन का मतलब. पुढील स्टेशन का मतलब होता है अगला स्टेशन”. इतना कहकर उसने देव को मारने के लिए अपना हाथ उठाया, लेकिन एक पुलिसवाले ने पीछे से उसका हाथ पकड़ लिया.

पुलिसवाला, “साला टपोरी बाजूवाले डिब्बे में मेरा पर्स मारकर यहाँ लेक्चर पिला रेला है. चल तेरा लेक्चर मैं आराम से सुनेगा”.

उस लड़के को पुलिसवाला ले जाने लगा, तो बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुआ पूछा, “पुढील स्टेशन”?

लोकल के भीतर बैठी भीड़ एक साथ बोली, “पुलिस स्टेशन”.

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on October 4, 2012 at 10:15am

सौरभ पाण्डेय जी नमस्कार व शुक्रिया. लोकल में उत्तर भारतीय इन टपोरियों के लोकलपन को झेलने के आदी हो चुके हैं....

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on October 4, 2012 at 10:13am

योगराज प्रभाकर जी नमस्कार एवं शुक्रिया. ऐसे टपोरियों का पुढील स्टेशन पुलिस स्टेशन होना चाहिए, किन्तु दुर्भाग्य यह है, कि ये टपोरी सत्ता में सेंध लगाकर घुस चुके हैं. क्या कीजिएगा?


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2012 at 9:20pm

’पुढ़े सरका’  सुन-सुन कर हम भी कसमस करते, दाँत भींचते, हम भी उन लोकल में बढ़ते रहे हैं.. . सही है, गंदगी बाहर नहीं भीतरी सोच की है. ऐसे टपोरियों की बात साझा कर आपने बहुत सही इशारा किया है. बधाई.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 3, 2012 at 4:53pm

बहुत सुन्दर लघुकथा कही है भाई सुमित प्रताप सिंह जी, बिलकुल दुरुस्त फरमाया है आपने कि ऐसे टपोरियों का पुढील स्टेशन अब सिर्फ पुलिस स्टेशन ही है.

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on October 3, 2012 at 11:12am

गणेश जी "बागी" जी नमस्कार! पहले तो आपका कमेन्ट करने हेतु आभार. बागी जी आपने जिस पंक्ति को कोट किया है, असल में वही तो इस लघु कथा की आत्मा है और आपने उसे खोज लिया. एक बार फिर से शुक्रिया...

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on October 3, 2012 at 11:08am

शुक्रिया कुमार गौरव अजीतेन्द्र जी...

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on October 3, 2012 at 11:08am

शुक्रिया राजेश कुमारी जी...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 3, 2012 at 9:07am

सुमित जी, यह लघुकथा एक साथ कई कई सन्देश दे जाती है, क्षेत्रवाद के नाम पर टपोरियों द्वारा आम लोगो से दुर्भाव, आम शहरी की सोच, दोमुहापना ...सब कुछ तो है इस कथा में | मैं एक पक्ति को कोट करना चाहूँगा जो इस लघु कथा में मुझे सबसे अच्छी लगी, वो है ..

//ए छोकरा ये बातें नेता लोग के वास्ते ही रहने देने का. उनका धंधा इसी से चलता है. हम लोग एक देश का है और अपन को मिलजुल के रहना माँगता//

वाह वाह, सुमित जी, दिल जीत लिया, बहुत खूब, इस शानदार अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें |

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on October 3, 2012 at 8:18am

सुन्दर कहानी.........बधाई.........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 2, 2012 at 8:52pm

बहुत अच्छी रोचक घटना 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service