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============= गीत =============

मेरी इबादत हो तुम्ही, मेरा हो पूजन, ऐ मेरे सजन
मेरा ये तन औ ये मन, तुमको है अर्पण, ऐ मेरे सजन

सुबहो शाम, रात दिन, याद मुझे आ रहे
वो बिताये पल सुहाने नैनों में समा रहे
खिल रहे नए पुष्प, मन की वाटिका में गा रहे
तुमसे ही चलती हैं साँसे तुमसे है जीवन, ऐ मेरे सजन

मेरी इबादत हो तुम्ही, मेरा हो पूजन, ऐ मेरे सजन
मेरा ये तन औ ये मन, तुमको है अर्पण, ऐ मेरे सजन

छा रहे है मेघ घने आपकी ही प्रीत के
मस्त हवाओं के झोंके गा रहे हैं गीत से
हार के सब कुछ मैं अपना ख्वाब देखूं जीत के
प्रेम की बारिश से जैसे जल रहा है मन, ऐ मेरे सजन

मेरी इबादत हो तुम्ही, मेरा हो पूजन, ऐ मेरे सजन
मेरा ये तन औ ये मन, तुमको है अर्पण, ऐ मेरे सजन

नैन हैं मधुकर से तेरे, होंठ लगे फूल से
चाँद से चहरे के आगे, सब लगे हैं धूल से
डर रहे हैं दिल कभी दुखे न मुझसे भूल से
तुम धरा हो ये हसीं या हो तुम गगन, ऐ मेरे सजन

मेरी इबादत हो तुम्ही, मेरा हो पूजन, ऐ मेरे सजन
मेरा ये तन औ ये मन, तुमको है अर्पण, ऐ मेरे सजन

संदीप पटेल "दीप"

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 10:35am

आदरणीय अलबेला सर जी आपकी वाह से तो गीत में प्राण आ गए लगता  है स्नेह बनाये रखिये
सादर धन्यवाद सहित सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 10:34am

आदरणीय अम्बरीश सर जी आपकी इस प्रतिक्रिया का प्रसाद पा कर मैं धन्य अनुभव कर रहा हूँ
इसी तरह मार्गदर्शन और उत्साह वर्धन की अभिलाषा रहेगी सदैव आपका कोटि कोटि आभार

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 23, 2012 at 4:53pm

//मेरी इबादत हो तुम्ही, मेरा हो पूजन, ऐ मेरे सजन
मेरा ये तन औ ये मन, तुमको है अर्पण, ऐ मेरे सजन//

मित्र संदीप जी, गीत रचने का बहुत अच्छा प्रयास किया है आपने .....बहुत बहुत बधाई मित्र ! अभ्यास करते रहिये ...निखार स्वतः आता रहेगा ... सस्नेह

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 11:16pm

वाह वाह
बहुत सुन्दर
हार के सब कुछ मैं अपना ख्वाब देखूं जीत के
प्रेम की बारिश से जैसे जल रहा है मन, ऐ मेरे सजन

__बधाई इस प्यारी रचना के लिए संदीप जी

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 22, 2012 at 10:03am

बहुत बहुत धन्यवाद आपका आ. राज तोमर जी
सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 22, 2012 at 10:03am

बहुत बहुत आभार भाई अरुण जी स्नेह बनाये रखिये

Comment by Raj Tomar on July 21, 2012 at 5:35pm

छा रहे है मेघ घने आपकी ही प्रीत के 
मस्त हवाओं के झोंके गा रहे हैं गीत से 
हार के सब कुछ मैं अपना ख्वाब देखूं जीत के 
प्रेम की बारिश से जैसे जल रहा है मन, ऐ मेरे सजन "
बहुत ही शानदार, भाई साब  ..:)

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 21, 2012 at 1:23pm

सुन्दर गीत संदीप जी, बधाई स्वीकार कीजिये.....

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