For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो कुण्डलियाँ......

दो कुण्डलियाँ......
१-डॉलर  के कॉलर!

डॉलर  के कॉलर खड़े,रूपया है कमजोर.

महंगाई की डोर  का,दिखे ओर ना छोर.
दिखे ओर ना  छोर ,पकड़ कर कैसे रोकें.
आम-आदमी यहाँ,खा रहा पल-पल धोखे.
'कहता है अविनाश' ,हाल है बद से बदतर!
कितने होंगे कड़क,और डॉलर के कॉलर?
-----------------------------------------
२-बढे कलंकित कर्म!!!
---------------------------------------------
ऐसे ही अब हो रहे,इस धरती पर खून.
पता चले कन्या अगर,ख़त्म कोख में भ्रूण!!
ख़त्म कोख में भ्रूण, नाक की साख बचाने.
कुदरत से ही लगे , खेलने लोग सयाने.
कहता है ' अविनाश ',कमाने  केवल पैसे.
बढे कलंकित कर्म , भ्रूण - हत्या के ऐसे!!!!!!!!!!!
------------------------------------------------
अविनाश बागडे  नागपुर.

Views: 409

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 7, 2012 at 10:08am

वांछित सुधार कर दिया गया है अविनाश बागडे साहिब.

Comment by AVINASH S BAGDE on June 7, 2012 at 10:07am

Albela Khatri ji,PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA sir, Rekha Joshi & rajesh kumari mam,आशीष यादव ji tatha jUMASHANKER ji  MISHRA   .....snehi-jano meri in kundaliyo ko aapka shabd-bal naseeb hua....hriday se aabhar.  

Comment by AVINASH S BAGDE on June 7, 2012 at 10:02am

Yograj ji...aabhar.
aap ne sahi farmaya-
'rassi' ki jagah 'dor'hone se kasaw jyada aa jayega.
kripaya ADMIN se kah k karwa de.
sadhuwad.

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 6, 2012 at 11:17pm

दोनों कुण्डलियाँ बहुत करारा व्यंग लिए हुवे है 

बहुत अच्छी रचना अविनास जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by आशीष यादव on June 6, 2012 at 8:12am
दोनो कुण्डलियाँ बहुत अच्छी हैँ और सामयिक चोट करतीँ हैँ। रुपये का अवमूल्यन और भ्रूण हत्या मे ईजाफा दोनो ही खतरा है।
इन पर बधाई स्वीकारिये

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 5, 2012 at 7:47pm

वाह वाह हालत-ए-हाजिर को मद्दे नज़र रखते हुए बहुत सारगर्भित कुंडलिया छंद कहे हैं अविनाश बागडे साहिब. बधाई स्वीकार करें.

//महंगाई की रस्सी का,दिखे ओर ना छोर.//
यहाँ "रस्सी" को "डोर" करने से गेयता और नहीं बढ़ेगी क्या ?

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2012 at 5:50pm

गजब की कुंडलियाँ     ...वाह अविनाश जी बहुत बढ़िया 

Comment by Rekha Joshi on June 5, 2012 at 5:37pm

अविनाश जी,सुंदर रचना ,बधाई |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 5, 2012 at 5:25pm

आदरणीय अविनाश जी, सादर 

भ्रूण हत्या से पैसे, बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना , बधाई 

Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 9:27am

बधाई हो  अविनाश बागडे जी,
बहुत ही शानदार और अर्थपूर्ण कुंडलियाँ प्रस्तुत की आपने.
आज के  ज्वलंत विषयों को ख़ूब उकेरा .....जय हो !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
43 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service