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तुम्हें नरसिंह बनना होगा

तुम मुझे जो भी कह लो
सुन लूंगा चुपचाप
चाहे मुझे तुम
पाखंडी /देशद्रोही /बलात्कारी
व्यवस्थाओ को तोड़ने वाला
या फिर उग्रवादी विचारों वाला कह लो
तुम जानते हो /इन बातों से
मैं तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता ॥


भला , सिर्फ विचारों के प्रहार से
क्या बिगड़ेगा तुम्हारा
जरा ,..एक चोर को चोर कह कर देखो
कुरूरता के भयानक पंजे
चीथड़े -चीथड़े कर देगी तुम्हें
अरे ..छोड़ो ....
सच का सामना कितने लोग करते है ॥

जानता हूँ ...
सत्य कर्म पर अग्रसर प्रह्लाद पर
जुल्म ढाते हिरण्यकश्य्पू का वध करने
कोई नरसिंह नहीं आयगा ॥

मेरे दोस्तों ...
लगाना होगा इन्कलाब
जलाना होगा
अपने अधिकारों के तेल से बने लुकाठी का मशाल
जागो ...
तुम्हारे अंगों में पानी नहीं /लाल खून है
बढ़ने दो अपने नाखुनों को
हो जाने दो केश -राशि लम्बे
बन जाओ नरसिंह
वध कर दो उन हिरनकश्पुओ का
जो....
भ्रस्टाचार/आतंकबाद /नक्सलवाद के
आग की लपटें फैला कर
कर रहे है देश को खोखला
अंदर ही अन्दर ॥

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Comment

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Comment by baban pandey on September 17, 2010 at 10:46am
गुरु जी को नमन
Comment by Rash Bihari Ravi on September 16, 2010 at 2:14pm
bahut badhia kavita sir ji
Comment by baban pandey on September 16, 2010 at 11:44am
गणेश भाई ..और आशीष भाई ...आप लोगो को शुक्रिया

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2010 at 9:31pm
बबन भईया स्वयम से बात करती हुई यह रचना अच्चा है,
Comment by आशीष यादव on September 14, 2010 at 8:07pm
Aaj ki aawashyakata ko maangti hai yah kawita. Sach me hame hi aage aana padega.

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