For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक १७ (Now Closed With 1737 Replies)

आदरणीय साहित्य प्रेमियों

सादर वन्दे,


"ओबीओ लाईव महा उत्सव" के १७  वे अंक के आयोजन का समय भी आ पहुंचा. पिछले १६  कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने १६ विभिन्न विषयों पर बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की. जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है.

.

लेकिन इस की बात कुछ अलग ही है, क्योंकि मौका है होली का और होली का नाम सुनते ही एक अजीब सी ख़ुशी की लहर तन-ओ-मन पर तारी होने लगती है. बदलती रुत, रंगों की बौछार, उड़ता हुआ अबीर-गुलाल, भांग-ठंडाई, गोपियों को रंगती मस्तों की टोलियाँ, बरसाने की लाठियां, वृन्दावन की गलियां, माँ के हाथ की गुझिया - क्या नहीं है इस त्यौहार में.  एक ऐसा अवसर जहाँ छोटे-बड़े का फर्क बेमायनी हो जाता है, जहाँ बूढा ससुर भी देवर बन जाता है. तभी तो शायद अल्लामा इकबाल ने भी कहा है : 

.

अच्छा है दिल के पास रहे पासवान-ए-अक्ल

लेकिन कभी कभी इसे तनहा भी छोड़ दे  

.

तो फिर आओं साथियों, रखें पासवान-ए-अक्ल को थोडा दूर, उठाएँ अपनी अपनी पिचकारी  ना..ना..ना..ना...ना... अपनी कलम और रच डालें कोई ऐसी रंग-बिरंगी हुडदंगी रचना कि होली का मज़ा दोबाला हो जाए. तो पेश है साहिबान :

.

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १७  
विषय - "होली का हुडदंग - ओबीओ के संग"  

आयोजन की अवधि ५ मार्च २०१२ सोमवार से ७ मार्च २०१२ बुधवार तक 

.

महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: -


  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)



अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- १५ में सदस्यगण  आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ  ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |


(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो सोमवार मार्च ५  लगते ही खोल दिया जायेगा )


यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |


"महा उत्सव"  के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

Views: 27620

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

  
                        होली आई 
                  (समान सवैय्या)

जब आती है न्यारी होली, सबके ही मन खिल जाते हैं. 

इक दूजे का साथ निभाते, सबको रंग अबीर लगाते.
.
जाति-पांति का भेद भुलाकर,समता का त्यौहार मनाते . 
मिलता है आशीष बड़ों का, मन प्रमोद से भर जाते हैं.
.
दिव्य पर्व ये प्रेम का संगम,  रंग में रंग घुल जाते हैं .
भाभी भी तो  हैं इतराती,  देवर  को हैं नाच नचाती. 
.
जब पोशाक पहन बैठे हों, तब आकर हैं रंग लगाती .
रिश्तों की परिचायक होली, दिल से दिल फिर मिल जाते हैं .
.
होली जीवन  का बसंत है, जख्म भी सारे सिल जाते हैं .
मानवता  का रंग लगाना, प्रेम पगी तुम गुझिया खाना .
.
आदर्शों हित शीश झुकाना, सोया हुआ जमीर जगाना .
होली केवल पर्व नहीं है, द्वैष के मिट साहिल जाते हैं .
                                           
शैलेन्द्र कुमार सिंह 'मृदु '

सराहना के लिय बहुत बहुत आभार 

जब आती है न्यारी होली, सबके ही मन खिल जाते हैं. 

इक दूजे का साथ निभाते, सबको रंग अबीर लगाते.
नहीं है होली जैसा कोई पर्व दूजा....बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति पेश किया है आपने....एकदम दिल जीत...

स्नेहाशीष के लिए कोटि कोटि नमन 

 द्वेष के मिट साहिल जाते हैं ...सुन्दर भाव 

बहुत सुंदर शैलेन्द्र जी

बहुत खूब शैलेन्द्र जी.....

''जाति-पांति का भेद भुलाकर,समता का त्यौहार मनाते . 

मिलता है आशीष बड़ों का, मन प्रमोद से भर जाते हैं.''

होली जीवन  का बसंत है, जख्म भी सारे सिल जाते हैं .

मानवता  का रंग लगाना, प्रेम पगी तुम गुझिया खाना ..... शैलेन्द्र जी बहुत सुन्दर भाव ,सुन्दर शब्द संयोजन परन्तु बेवडों और मूर्ख मंडलियों को भांग के सुरूर में समझ में आयेंगे तब ना  पर मुझे तो समझ में आ गए क्यूंकि मैंने अभी तक भांग नहीं पी है ....बुरा ना मानो होली है ....शुभाशीष 
.

जाति-पांति का भेद भुलाकर,समता का त्यौहार मनाते . 

मिलता है आशीष बड़ों का, मन प्रमोद से भर जाते हैं.बहुत ही सुंदर रचना भाई बहुत -बहुत बधाई |
//जाति-पांति का भेद भुलाकर,समता का त्यौहार मनाते . 
मिलता है आशीष बड़ों का, मन प्रमोद से भर जाते हैं.
होली जीवन  का बसंत है, जख्म भी सारे सिल जाते हैं .
मानवता  का रंग लगाना, प्रेम पगी तुम गुझिया खाना .//
.

बहुत खूब शैलेन्द्र भाई जी ! बड़ी अच्छी रचना है जय हो ! :-)))))

शैलेन्द्र कुमार सिंह 'मृदु ' जी बहुत ही सुन्दर रचना. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये और होली की ढेरों बधाई

ये फागुनी होली

पलाश, टेसू के फूलों की होली

केसर, चन्दन के पीले रंगो की होली

उड़ते अबीर गुलाल की होली ,

रंगों के अम्बार की होली

ढोल की थाप पर कोडे़ मारती औरतें, और

चहचहाते लोगों की होली

ये फागुनी होली ।  

 

 

आज बसंत बहार की होली

हँस रही अमराई की होली

फूली सरसों की क्यारी की होली

खेतों और खलिहानों की होली

मदमाते मधुमास की होली,

कली भौंरों के अभिसार की होली

ये फागुनी होली ।

 

 

बृज की बरसाने की होली 

राधा और गोपाल की होली

जोरी और बरजोरी की होली

गौरी और साजन की होली

बाहों की जंजीरों की होली

आज हसीन नज़ारों की होली

ये फागुनी होली ।

 

 

मस्ती ओ उल्लास की होली

देवर और भाभी की होली

जीजा और साली की होली

सारंगी सांसों की होली

सतंरगी यौवन की होली

आज मेरे हमजोली की होली

ये फागुनी होली  | 

 

 

चंग और ढोल की थाप पर 

मंजीरे लेकर 

फाग गाते लोगों की होली

भंग की तरंग में डूबी 

राजस्थान की होली 

प्यार के रंग बिखेरती ये हुडदंगी होली

ये फागुनी होली । 

 

 

 

 

 

मोहिनी चोरड़िया  

 

  

Attachments:

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service