For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कल्पना में बिखरे कुछ टुकड़े पेश हैं:

 

घर में छा जातीं खुशियाँ

अगर कोई लल्ला हो गया l

 

और अगर जन्मी बिटिया

तो भारी पल्ला हो गया l

 

जब कभी फसल हुई कम

तो मंहगा गल्ला हो गया l

 

कोई डिग्री लेकर घर बैठे

तो वो निठल्ला हो गया l

 

शादी क्या हुई जनाब की

बीबी का पुछल्ला हो गया l

 

कभी जरूरत पड़ी बचाव की

तो हाथ ही बल्ला हो गया l

 

गरीब हुआ दफन चुपचाप

अमीर पर हल्ला हो गया l

 

दाल-रोटी ना भाये उसको

पिज्जा खा मुटल्ला हो गया l

 

जेल गये सिर्फ लल्लू भाई

बदनाम पूरा मोहल्ला हो गया l

 

-शन्नो अग्रवाल

 

Views: 442

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shanno Aggarwal on January 25, 2012 at 7:15pm

राज जी, आपका हार्दिक धन्यबाद.

Comment by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 4:41pm

सौरभ जी, आप जैसे विद्द्वान रचनाकार के मुख से अपनी रचनाओं की प्रशंसा सुनकर कितनी खुशी मिलती है मैं बता नहीं सकती. आपका आभार सहित बहुत-बहुत धन्यबाद. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 24, 2012 at 8:52am

इन विचारों को आप फुटकर खयाल कहती हैं ? ये तीखे सवाल हैं.  जो सवालों की शक्ल में न हो कर बतियाते हुए समझाते जाते हैं.  इन द्विपदियों के लिये आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ.

 

Comment by राज लाली बटाला on January 23, 2012 at 9:57pm

और अगर जन्मी बिटिया

तो भारी पल्ला हो गया l Sach hai !! khoob !

Comment by Shanno Aggarwal on January 23, 2012 at 2:22pm

किरन, बहुत धन्यबाद आपका.

Comment by Kiran Arya on January 23, 2012 at 11:04am

घर में छा जातीं खुशियाँ

अगर कोई लल्ला हो गया l

और अगर जन्मी बिटिया

तो भारी पल्ला हो गया l.........दी यथार्थ को दर्शाती सुंदर पंक्तिया, यह आज भी हमारी बिडम्बना है बेटे के होने पर खुशियाँ मनाई जाती है और बेटी के होने पर शोक.........

Comment by Shanno Aggarwal on January 17, 2012 at 3:43pm

योगराज जी,
आपके जैसे महान रचनाकार से अपनी रचना की तारीफ़ सुनकर कितनी खुशी हुई है इसे बता नहीं सकती...रचना लिखना सफल हो गया. इस तरह के उत्साहजनक कमेन्ट से और भी लिखने की प्रेरणा मिलती है. आपका हार्दिक धन्यबाद.  


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 17, 2012 at 3:32pm

आपकी रचनाएँ सदा ही एक अजीब सी ताजगी लिए होती हैं आदरणीया शन्नो जी. इन द्विपदीयों के माध्यम से बहुत सुन्दर और सामयिक सन्देश दिया हैं आपने, साधुवाद स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service