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''मौसम के रंग'' (नवगीत)

निशा के आँचल को समेट

खुद को किरणों में लपेट

क्षितिज पार फैली अरुणाई

बहने लगी पवन बौराई 

कोहरे का आवरण हटा    

सूरज ने खोले नयन कोर l

 

नीड़ में दुबके बैठे आकुल

भोर हुई तो चहके खगकुल

खुले झरोखे हवा की सनसन 

आकर तन में भरती सिहरन

है नव प्रभात, संदेश नवल

नव उमंग, मन में हलचल

कमल सरोवर पर अलि-राग

काँव-काँव कहीं करते काग

हर्ष से तरु-पल्लव विभोर l  

 

संक्रांति मनाते हैं हिलमिल       

खाते हैं आज सभी गुड़-तिल

सबके हैं हृदय मगन-मगन  

खुशबू से महके घर-आँगन

भरता धरती का नवल कलस

अमृत लगता गन्ने का रस  

तुहिन कणों से भरे अधर 

आहट बसंत की चौखट पर

कृषकों के मन लेते हिलोर l

 

है नीलगगन पर रंग छाया

मौसम पतंग का फिर आया     

उड़तीं फरफर रुमालों सी

मंझा लिपटी है बालों सी 

झूम-झूम, लहरा, इठला कर

जीत-हार की होड़ लगा कर

ऊपर जाकर उड़तीं नभ पर

गिरती रहती हैं कट-कट कर    

छत-मुंडेर हर जगह है शोर l

 

-शन्नो अग्रवाल 

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Comment

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Comment by asha pandey ojha on February 20, 2012 at 7:14pm

waah Shannu di kitni khoobsurat rachna hai wah man prfullit ho gya 

Comment by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 7:41pm

ब्रिजभूषण जी, सराहना के लिये आपका हार्दिक धन्यबाद. 

Comment by Brij bhushan choubey on January 24, 2012 at 4:51pm

bahut hi sundar nav git ,

Comment by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 4:43pm

सौरभ जी, रचना पर आपकी सराहनीय टिप्पणी पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया. आपका हार्दिक धन्यबाद. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 24, 2012 at 8:46am

आपने प्रकृति की मनोहारी छटा का सुन्दर वर्णन किया है, शन्नोजी.  विलम्ब से आपकी रचना पर आ रहा हूँ, इस हेतु क्षमा. 

संक्रान्ति-काल के अद्भुत वर्णन हेतु आपको हार्दिक बधाई.

Comment by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 12:11am

आलोक जी, आपने रचना की सराहना की इसे जानकर मन बहुत मुदित है. आपका हार्दिक धन्यबाद. 

Comment by Yogendra B. Singh Alok Sitapuri on January 23, 2012 at 4:13pm

वासंती अभिव्यक्ति का  सुन्दर किया प्रयास|

धन्यवाद दे आपको,  आलोकित मधुमास..

Comment by Shanno Aggarwal on January 23, 2012 at 2:34pm

धन्यबाद किरन..और आपको भी ढेरों शुभकामनायें. 

Comment by Kiran Arya on January 23, 2012 at 11:01am

संक्रांति मनाते हैं हिलमिल       

खाते हैं आज सभी गुड़-तिल

सबके हैं हृदय मगन-मगन  

खुशबू से महके घर-आँगन.........वाह दी सुंदर भाव, आपको और सभी मित्रो को मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाये....

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