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यो मिथिला वासी जगु यो
आऊ आडंबर स आगू यो
संकुचित विचार के त्यागु यो
यो मिथिला वासी जगु यो

अई राजनीत कंठक सासरी
मइर रहल समाज लगा फसरी
निर्लाजा सब स सिखु यो
यो मिथिला वाशी जागु यो

दुनिया कत स कत गेल
हम अखनहु धैर पछुवायल छि
संकुचित विचार स घायल छि
आबो ता नींद स जगु यो

माँ सीता के र इ धरती में
विद्यापति के र इ परती में
अपन कर्मठता स आबू
मिली हरियर बाग़ बनाबू यो
यो मिथिला वासी जगु यो

pankaj

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Replies to This Discussion

दुनिया कत स कत गेल
हम अखनहु धैर पछुवायल छि
संकुचित विचार स घायल छि
आबो ता नींद स जगु यो

आदरणीय पंकज झा जी प्रणाम, बहुत सुंदर मैथिलि कविता आप ने पोस्ट किया है, बहुत बहुत धन्यवाद,

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