For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक १२ (Now Closed with 1070 Replies)

 सभी साहित्य प्रेमियों को

प्रणाम !

साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रारंभ में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, उसी क्रम में ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रस्तुत करते है ......

 

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १२  

इस बार महा उत्सव का विषय है "बचपन"

आयोजन की अवधि :- ७ अक्तूबर २०११ दिन शुक्रवार से ०९ अक्तूबर २०११ दिन रविवार तक महा उत्सव के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना काव्य विधा में स्वयं लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है ...
  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद [दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका वग़ैरह] इत्यादि
साथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित OBO मंच नित्य नई बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय में बिना आप सब के सहयोग से कीर्तिमान पर कीर्तिमान बनाना संभव न था |

इस १२ वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन से जुड़े सभी सदस्यों ने यह निर्णय लिया है कि "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १२ जो तीन दिनों तक चलेगा उसमे एक सदस्य आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ   ही प्रस्तुत कर सकेंगे | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध और गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकेगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा और जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी |


( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो ७ अक्तूबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

( "OBO लाइव महा उत्सव" सम्बंधित पूछताक्ष ) 


मंच संचालक

श्री धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

Views: 16604

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

अत्यंत सुन्दर दोहावली रची है आपने आद अविनाश भाई....

सादर बधाई बधाइयां स्वीकारें...

AABHAR Habib bhai

आदरणीय अविनाश जी, आपकी दूसरी प्रस्तुति भी उतनी ही गहराई लिए हुए है.. निदा फ़ाज़ली जी के दोहों की याद भी दिला दी आपके इन दोहों ने भी....

//खुशबू लिए शरारत की,नाचे मन का मोर.
 बचपन की यादें बड़ी,दिल देती झकझोर.//
एक दम से दिल को आल्हादित करने वाली यादें होती हैं बचपन की... बहुत सुन्दर शुरुआत

//दिन भर खेले थक गए,और लग गई आँख.
 आँचल को चादर बना,अम्मा देती ढांक. //
इस दोहे में न केवल आपने बचपन को समेटा है, बल्कि माँ के प्यार और दुलार को भी शब्द दिए हैं.. बहुत सुन्दर

//याद पिता का डांटना,लेना मां की ओट.
 अब भी मेरे जेहन में,हैं लम्हें वो नोट.//
वाह वाह, क्या बात है...हरेक माँ ऐसी ही होती है....बहुत उम्दा कहा सर.

//आज चवन्नी नही रही,दस पैसे भी दूर.
 मुट्ठी में जिनको लिए,ख़ुशी मिली भरपूर.//
बदलती अर्थव्यवस्था और खुशियों के बदलते मायने को बड़ी सादगी से आपने रेखांकित कर दिया है. बधाई स्वीकार कीजिये सर इस दोहे पर तो

//गाँव,शहर सब हो गए,शहर बन गई भीड़!
 बचपन जिसमे था पला,गौण हुआ वो नीड. //
एक बार फिर से बदलती सामाजिक और आर्थिक सच्चाई को सटीक शब्द दिए हैं आपने .....बहुत ही संजीदा...

//मंदिर की वो घंटियाँ ,मुखरित पाक अजान.
 बचपन में चाहा जिन्हें,आज हर रहे प्राण.//
बहुत ही गहरी बात कह गए आदरणीय अविनाश जी.. बहुत कुछ बदल गया है बचपन से लेकर अब तक..

पूरी रचना पढने में आनंद की अनुभूति हुई और तह-ए-दिल से आपको बधाई प्रेषित करता हूँ और आभार व्यक्त करता हूँ की आपने इस मंच को अपनी रचनाओं से सुशोभित किया.

Dharmendra ji aap hi wo hai jinhone mujhe is manch ka patadiya...sachmuch aapki samiksha ne mujhe bhaw-vibhor kar diya.

आपका आभार आदरणीय अविनाश जी

इस विस्तृत विवेचना ने दिल जीत लिया आदरनीय धर्मेन्द्र शर्मा जी

आपका आभारी हूँ....आदरणीय रवि जी सादर

मंदिर की वो घंटियाँ ,मुखरित पाक अजान.

बचपन में चाहा जिन्हें,आज हर रहे प्राण.

 

आहा ! बहुत खूब बहुत खूब, सभी दोहे बहुत ही उच्च ख्यालात से लबरेज है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय |

BAGI JI    BAHUT-BAHUT AABHAR.

बहुत खूब अविनाश जी, हर दोहा काबिले तारीफ है। दिली दाद कुबूल करें

भाव और कहन की दृष्टि से आपकी दोहावलियाँ सुन्दर बन पड़ी हैं. बधाई स्वीकार कर अनुगृहित करें, आदरणीय.

शिल्प में कसावट प्रयास में चार चाँद लगा दें. विश्वास है, आप मेरी बातों को अन्यथा न ले, गंभीरता से लेंगे.

जिन दोहों में सुधार की आवश्यकता है उन्हें देख लें -

खुशबू लिए शरारत की,(१४) नाचे मन का मोर

बचपन की यादें बड़ी,दिल देती झकझोर.

 

याद पिता का डांटना,लेना मां की ओट.

अब भी मेरे जेहन में(१४), हैं लम्हें  वो नोट.

 

आज चवन्नी  नही रही (१४), दस पैसे भी दूर.

मुट्ठी में जिनको लिए, ख़ुशी मिली भरपूर.

 

मंदिर की वो घंटियाँ ,मुखरित पाक अजान.

बचपन में चाहा जिन्हें (१४),आज हर रहे प्राण.

 

sudhar sar aankho pe....aapki dad ka shukriya...Saurabh ji.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
23 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर "
25 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई सुरेंद्र जी अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
35 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. रिचा जी, अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। कुछ बदलाव…"
37 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। गुणीजनो की सलाह से इसमें निखार आ गया है । हार्दीक…"
40 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय दयाराम जी  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों ने अच्छी इस्लाह…"
54 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय जयहिंद जी  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
56 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय सुरेंद्र जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया अपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों ने…"
58 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
59 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service