For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-१४ (closed with 628 Replies)

परम आत्मीय स्वजन

इस माह के तरही मिसरे की घोषणा करने से पहले पद्म विभूषण गोपालदास 'नीरज' जी के गज़ल विषय पर लिखे गए आलेख से निम्नांकित पंक्तियाँ आप सबसे साझा करना चाहता हूँ |

 

क्या संस्कृतनिष्ठ हिंदी में गज़ल लिखना संभव है? इस प्रश्न पर यदि गंभीरता से विचार किया जाये तो मेरा उत्तर होगा-नहीं | हर भाषा का अपना स्वभाव और अपनी प्रकृति होती है | हर भाषा हर छंद विधान के लिए उपयुक्त नहीं होती | अंग्रेजी भाषा संसार की अत्यंत समृद्ध भाषा है | लेकिन जिस कुशलता के साथ इस भाषा में सोनेट और ऑड्स लिखे जा सकते हैं उतनी कुशलता के साथ हिंदी के गीत, घनाक्षरी, कवित्त, सवैये और दोहे नहीं लिखे जा सकते हैं | इन छंदों का निर्माण तो उसमे किया जा सकता है परन्तु रस परिपाक संभव नहीं है| ब्रजभाषा और अवधी बड़ी ही लचीली भाषाएं हैं इसलिए जिस सफलता के साथ इन भाषाओं में दोहे लिखे गए उस सफलता के साथ खड़ी बोली में नहीं लिखे जा सके | हिंदी भाषा की प्रकृति भारतीय लोक जीवन के अधिक निकट है, वो भारत के ग्रामों, खेतों खलिहानों में, पनघटों बंसीवटों में ही पलकर बड़ी हुई है | उसमे देश की मिट्टी की सुगंध है | गज़ल शहरी सभ्यता के साथ बड़ी हुई है | भारत में मुगलों के आगमन के साथ हिंदी अपनी रक्षा के लिए गांव में जाकर रहने लगी थी जब उर्दू मुगलों के हरमों, दरबारों और देश के बड़े बड़े शहरों में अपने पैर जमा रही थी वो हिंदी को भी अपने रंग में ढालती रही इसलिए यहाँ के बड़े बड़े नगरों में जो संस्कृति उभर कर आई उसकी प्रकृति न तो शुद्ध हिंदी की ही है और न तो उर्दू की ही | यह एक प्रकार कि खिचड़ी संस्कृति है | गज़ल इसी संस्कृति की प्रतिनिधि काव्य विधा है | लगभग सात सौ वर्षों से यही संस्कृति नागरिक सभ्यता का संस्कार बनाती रही | शताब्दियों से जिन मुहावरों, शब्दों का प्रयोग इस संस्कृति ने किया है गज़ल उन्ही में अपने को अभिव्यक्त करती रही | अपने रोज़मर्रा के जीवन में भी हम ज्यादातर इन्ही शब्दों, मुहावरों का प्रयोग करते हैं | हम बच्चों को हिंदी भी उर्दू के माध्यम से ही सिखाते है, प्रभात का अर्थ सुबह और संध्या का अर्थ शाम, लेखनी का अर्थ कलम बतलाते हैं | कालांतर में उर्दू के यही पर्याय मुहावरे बनकर हमारा संस्कार बन जाते हैं | सुबह शाम मिलकर मन में जो बिम्ब प्रस्तुत करते हैं वो प्रभात और संध्या मिलकर नहीं प्रस्तुत कर पाते हैं | गज़ल ना तो प्रकृति की कविता है ना तो अध्यात्म की वो हमारे उसी जीवन की कविता है जिसे हम सचमुच जीते हैं | गज़ल ने भाषा को इतना अधिक सहज और गद्यमय बनाया है कि उसकी जुबान में हम बाजार से सब्जी भी खरीद सकते हैं | घर, बाहर, दफ्तर, कालिज, हाट, बाजार में गज़ल  की भाषा से काम चलाया जा सकता है | हमारी हिंदी भाषा और विशेष रूप से हिंदी खड़ी बोली का दोष यह है कि  हम बातचीत में जिस भाषा और जिस लहजे का प्रयोग करते हैं उसी का प्रयोग कविता में नहीं करते हैं | हमारी जीने कि भाषा दूसरी है और कविता की दूसरी इसीलिए उर्दू का शेर जहाँ कान में पड़ते ही जुबान पर चढ जाता है वहाँ हिंदी कविता याद करने पर भी याद नहीं रह पाती | यदि शुद्ध हिंदी में हमें गज़ल लिखनी है तो हमें हिंदी का वो स्वरुप तैयार करना होगा जो दैनिक जीवन की भाषा और कविता की दूरी  मिटा सके |

 

नीरज

१९९२

 

इस माह का तरही मिसरा भी नीरज जी की गज़ल से ही लिया गया है |

 

ये शायरी ज़बां है किसी बेज़बान की
221 2121 1221 212
मफऊलु फाइलातु मफाईलु फाइलुन
बह्र मजारे मुसम्मन अखरब मक्फूफ़ महजूफ

क़ाफिया: आन (मकान, ज़बान, जहान, आदि)
रदीफ: की

विनम्र निवेदन: कृपया दिए गए रदीफ और काफिये पर ही अपनी गज़ल भेजें | यदि नए लोगों को रदीफ काफिये समझने में दिक्कत हो रही हो तो आदरणीय तिलक राज कपूर जी की कक्षा में यहाँ पर क्लिक कर प्रवेश ले लें और पुराने पाठों को ठीक से पढ़ लें| 

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २८ अगस्त दिन रविवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३० अगस्त दिन मंगलवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन से जुड़े सभी सदस्यों ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक १४ जो तीन दिनों तक चलेगा उसमे एक सदस्य आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत कर सकेंगे | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध  और गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकेगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा और जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी |  

फिलहाल Reply बॉक्स बंद रहेगा, मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ किया जा सकता है |
"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह


Views: 14217

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय भाई सौरभ जी ! इस सम्पूर्ण हृदय से आभार स्वीकार करें ! तारीफ करना तो कोई आपसे सीखे मित्र ......:-)

वाह अम्बरीश भाई बहुत खूब. हर पहलू को पकड़ कर चित्रित करते आपके शेर गहरा असर छोड़ रहे हैं. ख़ासकर ये शेर //जुल्मों से ना डरेगी मेरे यार आज भी,     
ये शायरी ज़बां है किसी बेज़बान की.// हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये.

धन्यवाद आदरणीय भाई धरम जी ! ग़ज़ल की तारीफ करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया क़ुबूल फरमाएं !

गज़ब की गाँठ लगाईं है आपने अम्बरीश भाई, सच बहुत ही जोरदार ग़ज़ल कही है, बधाई मित्र !

स्वागत है भाई बागी जी ! तहे दिल से शुक्रिया आपका ! यह सब तो ओ बी ओ की संगत का असर है इसलिए इसका क्रेडिट ओ बी ओ को ही जायेगा !

परवाह ही नहीं इसे मेरी उड़ान की ,

नादानियाँ है ये मेरे दिल ए नादान की |

जिसको झुका सकी न गरीबी भी बोझ से ,

 ये दास्ताँ सुनाती है उसके ईमान की |
मिल ना सके लफ्ज़ जिसके ख्यालात को ,
ये शायरी ज़बां है किसी बेज़बान की |
मरते समय भी उसे इतना ही कह गयी ,
करना तुम हिफाज़त  अपनी संतान की |
परदा हटा दे गर तू चेहरे से ,नाज़नी 
खुशियाँ नज़र कर दूं तुझे सारे जहान की |

 

भाई, अगर पूरी रचना को ही एक बार फिर से पढ़ कर सुधार लें, तो अच्छा रहे ।

जी मोईन जी , फिर से कोशिश करता हूँ | धन्यवाद ...

भाई वीरेंद्र जी ! भाई मोईन शम्सी जी से मैं भी सहमत हूँ ......अगर संभव हो तो प्रत्येक पंक्ति को गाकर ही कहें ....

/परवाह ही नहीं इसे मेरी उड़ान की ,

नादानियाँ है ये मेरे दिल ए नादान की |//

वीरेन्द्र भाई हमें आपकी उड़ान की भी परवाह है और आपके उठान की भी ! ये नादानियाँ नहीं दिल के वलवले हैं जो कविता के रूप में बाहर आ रहे हैं ! बहरहाल, मतला अच्छा कहा है !

//जिसको झुका सकी न गरीबी भी बोझ से ,

 ये दास्ताँ सुनाती है उसके ईमान की |//

ख्याल अच्छा है मगर बात पूरी तरह साफ़ नहीं हुई - वो क्या चीज़ है जो झुका नहीं सकी ? ज़रा इस ओर ध्यान दीजिए !

//मिल ना सके लफ्ज़ जिसके ख्यालात को ,
ये शायरी ज़बां है किसी बेज़बान की |//

शेअर का भाव वहुत अच्छा है !

//मरते समय भी उसे इतना ही कह गयी ,
करना तुम हिफाज़त  अपनी संतान की |//

बहुत खूब !

//परदा हटा दे गर तू चेहरे से ,नाज़नी 
खुशियाँ नज़र कर दूं तुझे सारे जहान की |//

ये सब से सुंदर शेअर है तगज्जुल से लबरेज़ ! मेहनत करते रहिए, और गुणीजनों की राय पर गौर फरमाते रहिए - मंजिल कोई बहुत ज्यादा दूर नहीं है ! बे-बहर होना एक कमी ज़रूर है मगर कोई अक्षम्य अपराध नहीं, इस लिए आलोचना से घबराएँ मत और लगातार कोशिश जारी रखें !

बहुत बहुत शुक्रिया  ,प्रभाकर सर ,

यही ओ बी ओ की खासियत है कि हम जैसे विद्यार्थियों को आप गुनी जन इतने स्नेह से समझाते हैं कि जिससे हमारा हौसला भी बढे और हमारी गलतियाँ भी पता चल जाएँ | इस प्रयास में मैं बे बहर हो ही गया हूँ किन्तु इससे भी कुछ सिखने को मिला है और कोशिश करूँगा जी अगला प्रयास में बेहतर कर सकूँ , बस आप लोग इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिएगा | बहुत बहुत धन्यवाद्...

वीरेंद्र भाई यह रही आपकी ग़ज़ल ! आपसे गुज़ारिश है कि कृपया भाई योगी जी की सलाह पर अमल करें !

 

//परवाह ही नहीं इसे मेरी उड़ान की,

नादानियाँ है ये मेरे दिल ए नादान की |//

परवाह ही नहीं है मेरी इस उड़ान की,
नादानियाँ हैं ये मेरे दिल के गुमान ही.

//जिसको झुका सकी न गरीबी भी बोझ से ,

 ये दास्ताँ सुनाती है उसके ईमान की |//
जिसको झुका सकी न गरीबी भी बोझ से,
ये दास्ताँ सुनो जी उसी के ईमान की.

//मिल ना सके लफ्ज़ जिसके ख्यालात को ,
ये शायरी ज़बां है किसी बेज़बान की |//
मिल ना सके थे लफ्ज़ जिसे दूर-दूर तक  ,
ये शायरी जबां है उसी बेजबान की .

//मरते समय भी उसे इतना ही कह गयी ,
करना तुम हिफाज़त  अपनी संतान की |//
मरते समय भी वो उसे इतना ही कह गयी,
कुछ फिक्र तो कर्रो मेरे बच्चों की जान की.
 
//परदा हटा दे गर तू चेहरे से ,नाज़नी 
खुशियाँ नज़र कर दूं तुझे सारे जहान की |//
परदा हटा अगर जो तू चेहरे से नाज़नी,
खुशियाँ नज़र करूँ तुझे सारे जहान की.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मनचाही सभी सदस्यों नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के…"
28 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"<span;>आदरणीय अजय जी <span;>आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
3 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"विषय बहुत ही चुनकर देते हैं आप आदरणीय योगराज सर। पुराने दिन याद आते हैं इस आयोजन के..."
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।तीसरी और चौथी पंक्तियों को पढ़ते समय…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना है सादर बधाई आपको"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय रवि शुक्ला जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar updated their profile
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"भाई मयंक जी, व्यवहार में निरमलता व विनम्रता ही ज्ञान का परिचय देती । सभी वरिष्ठों का आशीष बना रहे…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मंच के सभी सदस्यों को सादर अभिवादन। कई बार मन में आया कि मंच से वरिष्ठ व अनभवी और मार्गदर्शक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय नीलेश भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सलाह के लिए आपका आभार  आपकी दोनों सलाह अच्छी हैं ,…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service