For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आंखें आंखें अद्भुत आंखें,नित नए रूप बदलती आंखें

सबकुछ कहतीं पर चुप रहतीं,नित नए रूप दिखाती आंखें 

कहीं तो ज्वालामुखी हैं आँखें,कहीं झील सी गहरी आंखें 

मंद मंद मुस्काती आँखें,कहीं उपहास उडा़ती आंखें 

हिरनी सी चंचल ये आँखें,डरी डरी सहमी सी आंखें 

लज्जा से भरी अवगुंठित आँखें,फिर टेढी चितवन वाली आंखें 

कहीं प्यार बरसाती आंखें,कहीं पर सबक सिखाती आंखें 

ममता भरी वो भीगी आँखें,सजदे में झुक जाती आंखें 

क्रोध से लाल धधकती आँखें,मेघों सी वो बरसती आंखें 

दैन्य भाव दर्शाती आंखें,हठ और गर्व भरी वो आंखें 

एक दृष्टि सबकुछ कह जाती,ऐसी जादूभरी ये आंखें 

अनुपम है आंखों की ज्योती,सृष्टि का उपहार ये आंखें 

मौलिक/अप्रकाशित   

   वीणा 

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Veena Gupta on July 10, 2021 at 6:09pm

स्नेही धामी जी ,आभार आपका

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 10, 2021 at 7:32am

आ. वीणा जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Veena Gupta on June 30, 2021 at 6:40pm
भाई अमीर जी,रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद .आपकी प्रतिक्रियाओं का सदैव स्वागत है
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 30, 2021 at 8:50am

आदरणीया वीणा गुप्ता जी आदाब, अद्भुत। आँखों की विभिन्न भाव-भंगिमाओं का सुन्दर और सजीव चित्रण किया है आपने, ढेरों बधाईयाँ स्वीकार करें। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
20 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
43 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
45 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
47 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
49 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
51 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय गजेन्द्र जी बहुत शुक्रिया आपका बेहतरी का प्रयास करूंगी सादर"
51 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
52 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
52 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए गिरह भी ख़ूब  सादर"
53 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service