For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अम्न का माहौल हो आराम-ए-जाँ के वास्ते (129 )

ग़ज़ल( 2122 2122 2122 212 )
अम्न का माहौल हो आराम-ए-जाँ के वास्ते
जूँ कि गुल दरकार है इक गुलसिताँ के वास्ते
**
है शराब अच्छी अगर तो रिन्द ख़ाली कर सुबू
पर नमूना छोड़ दे पीर-ए-मुग़ाँ के वास्ते
**
है चना कोई अकेला भाड़ क्या फोड़ेगा वो
लोग होते हैं ज़रूरी कारवाँ के वास्ते
**
क्या फ़साने नज़्म होते हैं फ़क़त अल्फ़ाज़ से
सोज़-ए-दिल भी है ज़रूरी दास्ताँ के वास्ते
**
दर्द होता है दिलों में अश्क़ बहते हैं तभी
मुंतज़िर रहता है कोई कब फुगाँ के वास्ते
**
आजकल मौसम की बदली है फ़ज़ा कुछ इस तरह
फ़स्ल-ए-गुल करती हैं मिन्नत अब ख़िज़ाँ के वास्ते
**
इल्तज़ा है छोड़ दो ज़िद फ़ायदा कुछ भी नहीं
गुफ़्तगू है सिर्फ़ रह अम्न-ओ-अमाँ के वास्ते
**
मौज में अपनी गरजते और बरसते हैं सहाब
कौन करता है मदद अब्र-ए-रवाँ के वास्ते
**
फ़ायदे की कोशिशें हों यह सबक़ सीखें 'तुरंत '
क्या तिजारत ठीक है कार-ए-ज़ियाँ के वास्ते
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 12, 2021 at 11:08pm

आदरणीय  अमीरुद्दीन 'अमीर' साहेब 

प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार एवं नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 12, 2021 at 11:07pm

Aazi Tamaam, साहेब , आपकी 

प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार एवं नमन |  

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 12, 2021 at 8:01pm

'' क्या फ़साने नज़्म होते हैं फ़क़त अल्फ़ाज़ से

   सोज़-ए-दिल भी है ज़रूरी दास्ताँ के वास्ते "  चौथा शे'र ... लाजवाब। मुहतरम 'तुरंत' साहिब आदाब। मुबारकबाद पेश करता हूँ।

पाँचवा और छठा शे'र भी उम्दा हुए हैं। सादर। 

Comment by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 12:15am

बेहद ही खूबसूरत ग़ज़ल है बधाई स्वीकार करें आ० गहलोत जी

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 10, 2021 at 9:11pm

आदरणीय  Sushil Sarna  जी ,  इस प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार एवं नमन | 

Comment by Sushil Sarna on February 10, 2021 at 8:27pm

मौज में अपनी गरजते और बरसते हैं सहाब
कौन करता है मदद अब्र-ए-रवाँ के वास्ते

वाह आदरणीय गहलोत साहब वह क्या अशआर हैं। हमेशा की तरह खूबसूरत अहसासों की शानदार ग़ज़ल. . हार्दिक बधाई सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service