For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नन्ही सी चीटी हाथी कि ले सकती जान है

नन्ही सी चीटी  हाथी की ले सकती जान है
कोरोना ने कराया हमें इसका भान है।

हाथों को जोड़ कहता सफाई की बात वो
पर तुमको गंदगी में दिखी अपनी शान है।

बातें अगर गलत हों तो वाजिव विरोध है
सच का भी जो विरोध करे बदजुबान है।

नक़्शे कदम पे तेरे क्यूँ सारा जहाँ चले
बातों में बस तुम्हारी ही क्या गीता ज्ञान है

कोरोना की ही शक्ल में नफरत है चीन की
जिसके लिए जमीन ही सारी जहान है

मालिक के दर पे सज्दा वजू करके  ही करूं
संदेश कितना दिलकश देती कुरआन है

मालिक के दर पे आशू चलो मांग लें दुआ
जल्दी चलो हरम में शुरू फिर अजान है

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 682

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 26, 2020 at 1:00am

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, आपको इस ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई। आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम की बातों का संज्ञान लीजिये। अगर आप नज़्म कहें तो उसमें अनेक प्रकार की छूट है, लेकिन ग़ज़ल में नियम बहुत ही कड़े हैं, अलफ़ाज़ के वज़न को लेकर। दूसरी बात ये कहना चाहूँगा आदरणीय, कि आप नुक़्ते और बिंदी का इस्तेमाल सहीह नहीं करते हैं, और इस वजह से ग़ज़ल में कई spelling mistakes हैं... अगर आप कभी किताब छपवाएँगे तो ये सारी ग़लतियाँ यूँ ही छप जाएँगी, और शाइरी चाहे कितनी भी अच्छी हो, टंकण की त्रुटियाँ शाइर की image ख़राब कर देती हैं। कृपया इन अलफ़ाज़ पे ग़ौर कीजिये:
चींटी
सफ़ाई
ग़लत
बद-ज़ुबान
नक़्श-ए-क़दम
नफ़रत
ज़मीन
वुज़ूअ
करूँ
माँग
अज़ान

अगर आप को किसी लफ्ज़ के spelling में संदेह हो तो rekhta.org या और online resources से देखकर ध्यान से spelling लिखें। मैं ये बातें आपको इसलिए बता रहा हूँ क्यूँकि मुझे ये स्कूल में या कॉलेज में किसी ने नहीं बताई थीं। फिर जब उर्दू सीखी और उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब की शागिर्दी ली तो ये सब समझ में आना शुरूअ' हुआ। उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब का कहना है कि "आपके लिखे में एक बिंदी की भी ग़लती नहीं होनी चाहिए", इसलिए कृपया इसे ध्यान से समझें। देखिये नुक़्ते से हर्फ़ की आवाज़ कैसे बदल जाती है:

क = कौन
क़ = क़ौम (guttural sound, produced in the back of the throat)

ख = खाना
ख़ = ख़ाना (जैसे कि 'मैख़ाना', guttural sound, produced in the back of the throat)

ग = गाल
ग़ = ग़ालिब (guttural sound, produced in the back of the throat)

फ = फूल ('ph' sound)
फ़ = फ़ायदा ('f' sound)

ज = जग ('j' sound)
ज़ = ज़हर ('z' sound)

आशा करता हूँ मैं आपको कुछ लाभ पहुंचा सका। आपके लिए ढेरों शुभ कामनाएँ।

Comment by Samar kabeer on March 25, 2020 at 12:00pm

'क़ुरआन' को 'कुरान' नहीं लिख सकते ।

'जल्दी चलो हरम में हुयी फिर अजान है'

ये मिसरा ठीक है ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2020 at 1:25am

आदरणीय समर सर ।आपके मश्विरे का ह्रदय से आभारी हूँ। सर कुर आन को कुरान लिख सकते हैं की नहीं। बह्र लिखना भूल गया था । 

221 2121 1221 212 है । लास्ट में कुरआन को कुरान है हो सकता है या नहीं । 1212 कुरान है।मार्गदर्शन कीजियेगा। इस शेर को ठीक करता हूँ

सर जल्दी चलो हरम में हुयी फिर अजान है ।।किया जा सकता है क्या

Comment by Samar kabeer on March 22, 2020 at 9:04pm

जनाब डॉ. आशुतोष मिश्रा जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई  स्वीकार करें ।

ग़ज़ल के साथ अरकान भी लिख दिया करें,इससे नए सीखने वालों को आसानी होती है ।

'संदेश कितना दिलकश देती कुरआन है'

ये मिसरा बह्र में नहीं है,दूसरी बात 'क़ुरआन' का वज़  221 और ये शब्द पुल्लिंग है ।

'जल्दी चलो हरम में शुरू फिर अजान है'

इस मिसरे में 'शुरू' शब्द ग़लत है,सहीह शब्द है "शुरू'अ'' है और इसका वज़्न 121 है,देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service