For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ ख्वाबों के बीज लाकर

मैंने दिल के गमले में बोये थे।

पसीने का पानी पिलाकर

पौधे भी उगा दिये।

वो बात और है कि

गमले की मिट्टी मेरे दिल में भर गई।

और दिल भर देख भी नहीं पाया

मैं उन पौधों को - उसके फूलों को।

क्योंकि मैं अकेला था...

काश! तुम साथ होते।

हम बुहारते रहते एक-दूसरे के दिल में भरी मिट्टी।

हम साथ ही सूंघते स्वप्न-पुष्पों की सुगंध भी।

खैर, अब तुम्हारे भी ख्वाब बदल गये

और मेरे भी।

मैं नए बीज ले आया हूँ,

नए गमले में बो रहा हूँ।

स्वप्न-पुष्पों की महक से परहेज़ के साथ-साथ,

डॉक्टर ने मुझे बिना मिट्टी के गमलों का नुस्खा लिखा है।

और जानता हूँ… तुम्हें भी यही लिखा है…

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 664

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on February 18, 2020 at 9:38am

रचना पसंद करने और अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु बहुत-बहुत आभार आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी सर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2020 at 11:46am

आ. भाई चंद्रेश जी, अच्छी कविता हुई है । हार्दिक बधाई । 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on February 17, 2020 at 9:52am

आदाब जनाब समर कबीर जी सर, कविता पर आकर मेरी हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए दिली शुक्रिया आपका।

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on February 17, 2020 at 9:51am

रचना पसंद करने और अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु बहुत-बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर।

Comment by Samar kabeer on February 16, 2020 at 8:33pm

जनाब चंद्रेश जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 15, 2020 at 12:07pm

हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश जी। बेहतरीन कविता।

काश! तुम साथ होते।

हम बुहारते रहते एक-दूसरे के दिल में भरी मिट्टी।

हम साथ ही सूंघते स्वप्न-पुष्पों की सुगंध भी।

खैर, अब तुम्हारे भी ख्वाब बदल गये

और मेरे भी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
17 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
55 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service