For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहने को मजदूर पर, नहीं आज मजबूर।
अपनी ताकत से सदा, करे दुखों को दूर।।

काम करे डटकर सदा, नहीं कभी आराम।
इसके श्रम से ही बने, महल अटारी धाम

जंगल या तालाब हो, रुके न फिर भी पाँव।
करता श्रम दिन-रात वो, देखे धूप न छाँव।।

कंकड़ पत्थर जोड़कर, देता उसको रूप।
निज तन चिंता छोड़कर, खाता दिन भर धूप।।

राह बनाता वो यहाँ, दुष्कर गिरि को काट।
अपने भुजबल से करे, सुंदर सरल ये बाट।।

मन निर्मल है तन कड़ा, लौह बना है हाथ।
सबके हित में वो खड़ा, है सबके वो साथ।।

करता है दिन रात वो, बिना थके हर काम।
लेकिन उसको ना मिले, सही काम का दाम।।

है निर्भर मजदूर पर, सुख समाज का आज।
लेकिन देखो रीति तो, किसके सर है ताज।।

करती है सरकार बस, वादों का उद्द्घोष।
मिलता क्या मजदूर को, इसका किसको होश।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1446

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 8, 2019 at 7:13am

आ. विवेक जी, मज़दूर की समस्याओं पर अच्छे दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Vivek Pandey Dwij on November 4, 2019 at 8:52pm
आदरणीय डॉ.गीता चौधरी जी इस उत्साहवर्धन के लिये आप को साधुवाद।
Comment by Vivek Pandey Dwij on November 4, 2019 at 8:49pm
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी प्रणाम उत्साहवर्धन लिये धन्यबाद।
Comment by नाथ सोनांचली on November 4, 2019 at 8:37pm

आद0 विवेक पांडेय द्विज जी सादर प्रणाम। मजदूर विषय पर आपके दोहे शिल्पगत और भावपूर्ण हैं। बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on November 4, 2019 at 8:35pm

आदरणीय विवेक पाण्डे जी अच्छे दोहे लिखे आपने, हार्दिक बधाई!

Comment by Vivek Pandey Dwij on November 4, 2019 at 5:44pm
प्रणाम समर कबीर जी, मेरे उत्साह संबर्धन के लिए आप का बहुत बहुत धन्यबाद।
Comment by Samar kabeer on November 4, 2019 at 3:07pm

जनाब विवेक पाण्डेय जी आदाब,मज़दूर की समस्याओं पर अच्छे दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service