For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'तेरे-मेरे मन की बातें' (लघुकथा)

"तुम भी सिर्फ़ एक क़िताबी कीड़े ही हो! कभी तुमने अपनी सूरत आइने में देखी है? कभी किसी ने तुम्हारी सूरत पर कोई अच्छी सी टिप्पणी की है?"

"क्या मतलब?"

"मतलब यह कि न तो तुम्हारी सूरत देखकर मुझे ख़ुशी मिलती है, न ही तुम्हारी बातें सुनकर! तुम्हारे दिलो-दिमाग़ की सीमाएं नापी जा सकती हैं! तुम ज्ञानी ज़रूर हो, लेकिन तुम भी मेरे किसी काम के नहीं?"

"काम का कैसे नहीं हूं? बताओ क्या सुनना है मुझसे? कहानी, लघुकथा, कविता, इतिहास, नीति-शास्त्र, राजनीति या धर्म संबंधी?"

"वह सब तू अपने पास रख! तेरी सूरत, तेरी दिनचर्या, तेरे उसूल और आदर्श से तेरा क़िताबी ज्ञान नाप लेता हूं मैं? बता, क्या तू मुझे हंसा सकता है? मुझे रिलेक्स करा सकता है?"

"... लेकिन ऐसा क्यूं कह रहे हो?"

"क्योंकि मुद्दत हो गई मुझे हंसे हुए! भूल गया हूं हंसना!"

"तो कुछ चुटकुले, लतीफ़े सुनाऊं या टीवी पर कोई कॉमेडी शो दिखाऊं?"

"उनकी भी वैसी तासीर कहां रही? बनावटीपन या फूहड़पन मुझे न तो हंसा सकता है, न रिलेक्स करा सकता है, समझे! जस्ट टाइम पास; और कुछ नहीं!"

"तो फ़िल्मी गाने सुनवाऊं? नये या पुराने?"

"नयों में वो बात नहीं और पुराने से हालात नहीं! वे भी मुझे हंसा तो नहीं सकते! ... मैं हंसना चाहता हूं दोस्त, हंसना! असली स्वाभाविक हंसी को मोहताज़ हूं मैं? क्या तुम्हारी क़िताबें ऐसा कर पातीं हैं आज की जीवन-शैली में, ऐं?"

"तो, तू थोड़ा रिलेक्स कर ले पहले! तुझे दरअसल हॉटी-नॉटी बोटी की ज़रूरत है! सेक्स से रिलेक्स तक!"

"नहीं, हरगिज़ नहीं! वह सब भी या तो आभासी है या मशीनी! अनुबंधित है या व्यापारिक! सिर्फ़ सौदेबाज़ी, फर्ज़, कर्ज़, औपचारिकता, लत या फूहड़ प्रर्दशन!"

"तो, तू ऐसा कर! मेरी तरह बन जा! लेखक भी और पाठक भी! दिन का फ़्री टाइम भी कट जायेगा और रात भी! जब कोई किसी का नहीं होता न, तो क़िताबें ही सच्ची दोस्त होतीं हैं, दोस्त! लेकिन हंसने-हंसाने की बात मत करना, समझे!"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 12, 2019 at 12:18am

आदाब। मेरी इस लघुकथा पर समय देकर अवलोकन और मेरी हौसला अफ़ज़ाई व विचार साझा करने हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समय कबीर साहिब और जनाब अमित कुमार'अमित' साहिब।

Comment by Samar kabeer on February 4, 2019 at 9:21pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Amit Kumar "Amit" on February 4, 2019 at 6:06pm

अजी वाह आदरणीय शहजाद उस्मानी जी बहुत ही सही बात कही आपने किताबें इंसान की सच्ची दोस्त होती हैं। लेखक भी और पाठक भी बाली बात भी बहुत सुंदर है। बधाईयां

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार आपका सादर"
3 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. अमित जी ग़जल पर आपके पुनरागमन एवम् पुनरावलोकन के लिए कोटिशः धन्यवाद ! सुझावानुसार, मक़ता पुनः…"
29 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
59 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service