For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पर मोहब्बत---

वह आदमी जो अभी-अभी

मेरे जिस्म से खेल कर

बेपरवाह उघड़ के सोया है

और जिसके कर्कश खर्राटे

कानों में गर्म शीशे से चुभते है

और जो नींद में भी अक्सर

मेरी छातियों से खेलता है

सिर्फ मेरी बात करता है

मैं उससे नफ़रत तो नहीं करती

पर मोहब्बत ----------------

 

मेरी तकलीफ़ उसे बर्दाश्त नहीं

एक खाँसी भी उसकी साँस टाँग देती है

मेरे आँसू सलामत रहें इसलिए

वो प्याज काटने लगा है

रोटी भी वो गोल बना लेता है

कभी-कभी मेरी अनिच्छा पर वो मुझ से

अपनी पीठ मलवाता है तब

तुम्हारा चेहरा उस पीठ पर नज़र आता

मैं उसकी पीठ को नापसंद तो नहीं करती

पर तुम्हारा चेहरा--------

 

मैं अक्सर गलतियाँ करती हूँ

और वो हँसकर उन्हें ठीक करता है

मैं गुस्से में चीज़े तोड़ देती हूँ

वो चुपचाप नई चीज़े ले आता है

उक्ता गई हूँ इस आदमी के स्वभाव से

और दुखी हूँ अपने गिरे भाव से

जब कभी वो आदमी अकेले बैठकर रोने लगता है

तब मैं सोचने लगती हूँ तुम्हारे बारे में

अपने बारे में और इस आदमी के बारे में

जिससे मुझे नफरत तो नहीं है

पर मोहब्बत-----------

 सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित )

 

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on March 8, 2018 at 6:30pm

रचना पर गुणी मित्रों की वृहद दृष्टि पा लिखना सार्थक प्रतीत हुआ 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 27, 2018 at 6:32am

बहुत खूब...

Comment by Samar kabeer on February 25, 2018 at 10:05pm

जनाब सोमेश कुमार जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

Comment by somesh kumar on February 25, 2018 at 11:12am

रचना ko apna sneh dene k lie शुक्रिया भाई Mohammed Arif ji

Comment by Mohammed Arif on February 25, 2018 at 9:36am

आदरणीय सोमेश कुमार जी आदाब,

                   पर मोहब्बत की अनिच्छा को प्रकट करती बेहतरीन कविता के लिए हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
22 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service