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तपकर लोहा आग में, बन जाता फौलाद,|

मात-पिता की आँच में, संस्कारी औलाद |

संस्कारी औलाद, प्रगति में हाथ बँटाते

करते जो पुरुषार्थ, काम से कब घबराते

कह लक्ष्मण कविराय,युवक ले शिक्षा जमकर

सक्षम और कुशाग्र, बने गुरुकुल में तपकर  |

 

सुनकर लंबित फैसला, विधवा हुई निढाल

दुख सहते वादी मरा, घर का खस्ता हाल |

घर का खस्ता हाल, हुई जब पेंशन लंबित

सुनने हक़ में न्याय, हुआ न वहाँ उपस्थित

लक्ष्मण माँगे न्याय, परिस्थिति हो जब दुखकर

मिले देर से जीत, दुखी वह होता सुनकर || 

(मौलिक व् अप्रकाशित)

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2016 at 12:23pm

बहुत  बहुत आप्भार आदरनीय सौरभ पाण्डेय जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2016 at 12:22pm

हार्दिक  आभार आपका श्री अशोक कुमर रक्ताले जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2016 at 12:21pm

हार्दिक  आभार श्री  रामबली गुप्ता जी | ना की जगह न  टंकण त्रुटी वश हो गया | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 3:51pm

बहुत खूब आदरणीय लक्ष्मण भाईजी. संदेशपरक तथा घटना प्रधान छन्दों केलिए हार्दिक धन्यवाद. 

आदरणीय रामबली गुप्ता जी का सुझाव अनुमन्य है,आदरणीय

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 30, 2016 at 2:50pm

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर, सुंदर कुण्डलिया छंद रचे हैं. बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी प्रथम छंद में "संस्कारी औलाद, प्रगति में हाथ बँटाते" इस पंक्ति को एक बार पुनः देख लें. सादर.

Comment by रामबली गुप्ता on April 28, 2016 at 7:32pm
बहुत ही सुंदर कुण्डलियाँ बन पड़ी हैं आदरणीय सादर बधाई स्वीकार करें। दूसरी कुण्डलिया के चौथी लाइन में 'न' को 'ना' बना लीजिये। एक मात्रा कम हो रहा है।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 28, 2016 at 11:48am

जी  | टंकण त्रुटि हो  गई | सुधार करता  हूँ  | छंद  सराहने के लिए सादर आभार आदरणीय सुशील सरना जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 28, 2016 at 11:46am

हार्दिक  आभार श्री  श्याम नारायण वर्मा  जी  

Comment by Sushil Sarna on April 27, 2016 at 7:52pm

आदरणीय बहुत सुंदर संदेशपरक कुण्डलिया का सृजन हुआ है। प्रथम कुण्डलिया की दूसरी पंक्ति के अंत में औलाद के स्थान पर आलाद टंकित हो गया है शायद टंकण त्रुटि है। कृपया देख लें।  इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सर। 

Comment by Shyam Narain Verma on April 27, 2016 at 4:14pm
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 

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