For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे वज़ूद की ज़मीं पे

मेरे वज़ूद की
ज़मीं पे
उग आये हैं
यादों के तमाम
कैक्टस और बबूल
जो लम्हा - लम्हा
छलनी करते जा रहे हैं
मेरे जिस्मो जाँ को

और अब

मेरे जिस्म पे
छप गयी है
नीली स्याही से
एक उदास नज़्म
किसी गोदने की तरह

जो मेरी,
पहचान बनती जा रही है

मुकेश इलाहाबादी -----
(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 422

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 2:16am

आदरणीय मुकेशजी, एक अरसे बाद पुनः आपको पढ़ना अच्छा लग रहा है.

इस सशक्त कविता के लिए हार्दिक बधाई,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 30, 2014 at 8:05pm

सायकिक इम्प्रेशन्स से नित आकार लेता है इंसान का व्यक्तित्व 

पर इस तरह...

नीली स्याही से
एक उदास नज़्म
किसी गोदने की तरह

इस गम और दर्द की अभिव्यक्ति पर वाह! कैसे हो 

शुभकामनाएं आदरणीय मुकेश श्रीवास्तव जी 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on June 26, 2014 at 3:25pm

htnx - is hauslaa aafzaaee ke liye = Annupurna Bajpai jee - Aha Pandey Ojha, Jawahar Lala jee

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 6:37pm

छोटी साकार प्रस्तुति , बधाई । 

Comment by asha pandey ojha on June 25, 2014 at 4:06pm

behtreen

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 25, 2014 at 11:48am

बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on June 23, 2014 at 10:03pm

JEE- SABHEE MTIRAON KO RACHNAA PASANDGEE KE LIYE BAHUT BAHUT AAABHAAR - VISHESH ROOP SE - MEENA DHAR PAATHAK JEE, RAJESH KUMARI JEE, Dr. GOPAL NARAYAN SRIVASTAVA JEE AUR OPEN BOOKS KE SABHEE PAATHKO KO


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 23, 2014 at 9:26pm

कभी कभी यादें इंसान के वजूद पर इस कदर हावी हो जाती हैं ,आपकी प्रस्तुति में देखते ही बनता है कुछ ही शब्दों में आपने अपनी जिन्दगी के तमाम बर्खों को खोल दिया ...वाह वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति मुकेश जी बधाई आपको| 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 23, 2014 at 7:34pm

मुकेश जी

कम शब्दों में दमदार बात i बधाई हो i  बहुत सुन्दर i

Comment by Meena Pathak on June 23, 2014 at 12:15pm

और अब

मेरे जिस्म पे
छप गयी है
नीली स्याही से
एक उदास नज़्म
किसी गोदने की तरह

जो मेरी,
पहचान बनती जा रही है.................बहुत सुन्दर .. बधाई आप को | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
17 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
17 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service