For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल : फिर हाल-ए-दिल हमारा सहेली से पूछना//शकील जमशेदपुरी

बह्र : 221/2121/1221/212
—————————————————————————
किरदार मेरा अपनी सहेली से पूछना
औ लम्स* मेरा अपनी हथेली से पूछना     *[स्पर्श]

मैं इक खुली किताब हूं तू खुल के बात कर
मुझसे न कोई बात पहेली से पूछना

पहले तो मुझसे कहना किसी और की हूं मैं
फिर हाल-ए-दिल हमारा सहेली से पूछना

बेदर्द वक्त कितना है हो जाएगा पता
खंडर हुई है कैसे हवेली से पूछना

खुशबू ​तुम्हारे जिस्म की है जानता 'शकील'
अच्छा नहीं सहन* की चमेली से पूछना       *[आंगन]
-शकील जमशेदपुरी

----------------------------------

*मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 814

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on April 20, 2014 at 12:11am
खूबसूरत गजल पर हार्दिक बधाई आदरणीय शकील भाई!
एक जिज्ञासा है- क्या खंडर शब्द का प्रयोग उचित हैहै?
सादर
Comment by vijay nikore on April 16, 2014 at 4:08pm

अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by शकील समर on April 15, 2014 at 7:38pm

शुक्रिया gumnaam pithoragarhi और Mukesh Verma "Chiragh" जी।

Comment by शकील समर on April 15, 2014 at 7:37pm

आदरणीय गिरिराज सर, जब आप जैसे लोग सराहना करते हैं तो काफी हौसला मिलता है। आभार।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 15, 2014 at 6:12pm

आ. शकील भाई , बहुत खूब ॥ शानदार ग़ज़ल कही है , बधाइयाँ !!

बेदर्द वक्त कितना है हो जाएगा पता
खंडर हुई है कैसे हवेली से पूछना ---- ढेरों दाद !!

Comment by gumnaam pithoragarhi on April 15, 2014 at 5:37pm

किरदार मेरा अपनी सहेली से पूछना
औ लम्स* मेरा अपनी हथेली से पूछना

खूब सर जी ग़ज़ल अच्छी लगी बधाई

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 15, 2014 at 5:35pm

आदरणीय शकील जी

क्या खूब लिखा है आपने.

इस शेर की नज़ाकत पर हज़ारों दाद

खुशबू ​तुम्हारे जिस्म की है जानता 'शकील'
अच्छा नहीं सहन* की चमेली से पूछना       *[आंगन]

ग़ज़लगोई का शानदार मुज़ाहिरा किया है आपने.

Comment by शकील समर on April 15, 2014 at 3:42pm

आप सभी का बहुत—बहुत आभार इस हौसला अफजाई के लिए।

Comment by Meena Pathak on April 15, 2014 at 2:31pm

क्या बात है .. बहुत खूब .. बधाई

Comment by भुवन निस्तेज on April 15, 2014 at 2:04pm

बेदर्द वक्त कितना है हो जाएगा पता
खंडर हुई है कैसे हवेली से पूछना

बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ की इस ग़ज़ल पर दाद कबूल करें...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service