For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा - इज्जत (शुभ्रा शर्मा 'शुभ ')

श्रवण की बहन श्रद्धा सरकारी अस्पताल में भर्ती थी | विधवा माँ श्रद्धा से मिलने को व्याकुल थी |श्रवण असमंजस में था कि माँ को कैसे रोके | उसके सास ससुर श्रावण पूर्णिमा में गंगा स्नान करने को आ रहे थे |
श्रवण - माँ :तुम जानती हो रेखा कैसे घर से आयी है, उसे काम करने की आदत नहीं है |समय पर खाना ,नाश्ता देने को तो तुम्हे खुद ही रुक जाना चाहिए था |पर तुम्हे हमारे घर की इज्जत से क्या लेना देना ? तुम्हे तो केवल श्रद्धा चाहिए , वो मरी तो नहीं जा रही है | उसे रोग बढ़ा चढ़ा कर बताने की आदत है |
दो दिनों बाद रेखा के मम्मी पापा जाने ही वाले थे , तभी श्रद्धा के घर वालों का फोन आया कि दाह -संस्कार के समय घाट पर श्रद्धा के भाई को भेज दें , ये हमारी इज्जत का सवाल है |
माँ की आँखों के आँशु अपने एकलौते बेटे बहु को देखकर मानो कह रहें हो कि तुमलोगों की इज्जत तो बच गयी पर मेरी श्रद्धा मर गयी |

शुभ्रा शर्मा 'शुभ '

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 1005

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shubhra sharma on September 2, 2013 at 8:03pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर , कहानी में वर्णित परिस्थिति  से रु -ब-रु हो टिपण्णी हेतु बहुत बहुत धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 12:55am

ऐसा भी होता है ?  उफ़्फ़

सही है, अपने ही ढंग की परिस्थितियाँ हैं.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 12:55am

ऐसा भी होता है ?  उफ़्फ़

सही है, अपने ही ढंग की परिस्थितियाँ हैं.

सादर

Comment by shubhra sharma on August 28, 2013 at 1:03pm

आदरणीया डॉ प्राची जी ,आपलोगों के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से काफी मनोबल बढ़ता है , बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by shubhra sharma on August 28, 2013 at 12:58pm

आदरणीय जितेन्द्र जी ,धन्यवाद

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 10:56am

सच! बड़ी ही हृदयस्पर्शी लघुकथा है, हार्दिक बधाई आदरणीया शुभ्रा जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 27, 2013 at 9:45pm

समाज मैं व्याप्त ऐसी मानसिकता ऐसे परिवारों को देख मन में यही ख़याल आता है कि स्वर्ग और नरक यही है धरती पर ही... क्या कहूँ ऐसे संवेदनहीन बेटे/ भाई की मानसिकता पर... दंग ही हूँ . 

इस अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई प्रिय शुभ्रा जी 

Comment by shubhra sharma on August 27, 2013 at 7:09pm

आदरणीय विजय मिश्र जी , आजकल श्रवण जैसे संकुचित सोच वाले को आधुनिक सोच वाले पुरुष समझना ही गलत है , आपने बहुत सही टिप्पणी कर मनोबल बढाया है ,बहुत बहुत धन्यवाद  ,  

Comment by shubhra sharma on August 27, 2013 at 7:04pm

आदरणीया   वंदना   जी ,   धन्यवाद

Comment by shubhra sharma on August 27, 2013 at 7:02pm

आदरणीय अभिनव जी ,उत्साहवर्धन करने के लिए   धन्यवाद ,  सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
15 hours ago
ajay sharma shared a profile on Facebook
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service