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लघु -कथा - अधूरा काम

बूढी दादी अपने पोते गोलू को लेकर गाँव के प्राथमिक विद्यालय में गई . उनको देखकर मास्टर साहब कहने लगे कि आपने इतना कष्ट क्यों किया . दादी जी बोली -गोलू पढ़ेगा इसी विद्यालय में लेकिन दोपहर का खाना ये घर पर ही खायेगा . बस एक ही बात कहने को आयी हूँ कि इसके पिता ने हमें शहीद की माँ होने का गौरव दिया है और इसे उसके अधूरे काम को पूरा करने के लिए जिन्दा रहना है .

शुभ्रा शर्मा 'शुभ '

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 10:23pm

आदरणीय सलिल जी , धन्यवाद

Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 10:22pm

आदरणीया गीतिका जी ,कथा की सराहना कर मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 26, 2013 at 8:27pm

कम शब्दों में बड़ी बात...
वाह सुन्दर कहानी !

Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 8:05pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर , उत्साहवर्धक टिप्पणी द्वारा मनोबल बढ़ाने के लिए शुक्रिया , आगे भी आशीर्वाद बना रहे ,सादर 

Comment by वेदिका on August 26, 2013 at 1:03pm

//और इसे उसके अधूरे काम को पूरा करने के लिए जिन्दा रहना है .//   जहाँ इस लघुकथा की समाप्ति है, वहीँ से बहुत तीव्रता से वाह की उत्पत्ति है| सचमुच में चमत्कारिक रूप से अपना उद्देश्य पूरा किया है कम लेकिन घातक निष्कर्ष ने|

बहुत बहुत बधाई  आदरणीय शुभ्रा जी!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 12:03am

आदरणीया शुभ्रा जी, आपकी लघुकथा पर भले ही टिप्पणी अब कर पा रहा हूँ लेकिन इन से गुजर तो तभी चुका था जब यह पोस्ट हुई थी.

आपसे पुनः कहूँगा, कि इस लघुकथा की सान्द्रता संप्रेषणीयता पर भारी नहीं पड़ी है. यही इसकी विशेषता है. 

जिस तरह से आपने सामाजिक लापरवाही को उभारा है वह श्लाघनीय है.

बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ.

Comment by shubhra sharma on August 15, 2013 at 12:38pm

आदरणीय डॉ आशुतोष जी , बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by shubhra sharma on August 15, 2013 at 12:36pm

आदरणीय केसरी जी , सराहना हेतु धन्यवाद

Comment by shubhra sharma on August 15, 2013 at 12:31pm

आदरणीया डॉ प्राची जी , आपने मेरे मनोबल बढ़ाने हेतु जो लिखी है उसके लिए तहे दिल से आभार 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 15, 2013 at 8:01am

संकेतो में आपने इतनी बड़ी बात कह दी ..रचना मार्मिक है ..और बर्तमान व्यवस्था पर कटाक्ष भी है ..सादर बधाई के साथ 

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