For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु -कथा - अधूरा काम

बूढी दादी अपने पोते गोलू को लेकर गाँव के प्राथमिक विद्यालय में गई . उनको देखकर मास्टर साहब कहने लगे कि आपने इतना कष्ट क्यों किया . दादी जी बोली -गोलू पढ़ेगा इसी विद्यालय में लेकिन दोपहर का खाना ये घर पर ही खायेगा . बस एक ही बात कहने को आयी हूँ कि इसके पिता ने हमें शहीद की माँ होने का गौरव दिया है और इसे उसके अधूरे काम को पूरा करने के लिए जिन्दा रहना है .

शुभ्रा शर्मा 'शुभ '

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 1091

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 10:23pm

आदरणीय सलिल जी , धन्यवाद

Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 10:22pm

आदरणीया गीतिका जी ,कथा की सराहना कर मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 26, 2013 at 8:27pm

कम शब्दों में बड़ी बात...
वाह सुन्दर कहानी !

Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 8:05pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर , उत्साहवर्धक टिप्पणी द्वारा मनोबल बढ़ाने के लिए शुक्रिया , आगे भी आशीर्वाद बना रहे ,सादर 

Comment by वेदिका on August 26, 2013 at 1:03pm

//और इसे उसके अधूरे काम को पूरा करने के लिए जिन्दा रहना है .//   जहाँ इस लघुकथा की समाप्ति है, वहीँ से बहुत तीव्रता से वाह की उत्पत्ति है| सचमुच में चमत्कारिक रूप से अपना उद्देश्य पूरा किया है कम लेकिन घातक निष्कर्ष ने|

बहुत बहुत बधाई  आदरणीय शुभ्रा जी!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 12:03am

आदरणीया शुभ्रा जी, आपकी लघुकथा पर भले ही टिप्पणी अब कर पा रहा हूँ लेकिन इन से गुजर तो तभी चुका था जब यह पोस्ट हुई थी.

आपसे पुनः कहूँगा, कि इस लघुकथा की सान्द्रता संप्रेषणीयता पर भारी नहीं पड़ी है. यही इसकी विशेषता है. 

जिस तरह से आपने सामाजिक लापरवाही को उभारा है वह श्लाघनीय है.

बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ.

Comment by shubhra sharma on August 15, 2013 at 12:38pm

आदरणीय डॉ आशुतोष जी , बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by shubhra sharma on August 15, 2013 at 12:36pm

आदरणीय केसरी जी , सराहना हेतु धन्यवाद

Comment by shubhra sharma on August 15, 2013 at 12:31pm

आदरणीया डॉ प्राची जी , आपने मेरे मनोबल बढ़ाने हेतु जो लिखी है उसके लिए तहे दिल से आभार 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 15, 2013 at 8:01am

संकेतो में आपने इतनी बड़ी बात कह दी ..रचना मार्मिक है ..और बर्तमान व्यवस्था पर कटाक्ष भी है ..सादर बधाई के साथ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
15 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service