For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हास्य - व्यंग . " अंगुली पर नचाती थी "

 हास्य - व्यंग

 "अंगुली पर नचाती थी"

मेरे एक दोस्त ने, किस्सा कुछ यूँ सुनाया ,
एक मामले में बीमा अफ़सर ने , घोटाला था पाया |

बात, इस हद तक थी बिगड़ी ,
इसमें लगी, उन्हें साजिश कुछ तगड़ी |

मामला था, कि एक महिला की अंगुली कटी ,
अंगुली थी मानो , हीरे से पटी |

अंगुली का हुआ लाखों भुगतान ,
इस सवाल से थे, वे बेहद परेशान |

उन्होंने तुरंत एजेंट को बुलवाया ,
नोटिस दे, भुगतान का कारण पुछवाया |

पूछा , एक अंगुली का करवा लाखों भुगतान ,
ऐसे तो दीवाला निकालेगा, तू नादान |

एजेंट बोला ,मान्यवर जहाँ तक है मेरी यादाश्त ,
महिला के पति की थी, लाखों की जायदाद |

श्रीमान जी यह सच है , मैं नहीं हूँ सिरफिरा ,
मामला बिल्कुल फिट हे ,व नतीजा बिल्कुल खरा |

ग़लत ना समझें ,
वो मेरे किसी रिश्ते नहीं आती थी ,
दरअसल, अपने पति को, उसी अंगुली पर नचाती थी |

अश्क

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 935

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अशोक कत्याल "अश्क" on April 22, 2013 at 8:54pm

respected shri ashok ji ,

comments from guru like u , boost me to fight ,

many many thanks , hope u will always encourage me .

regards  

ashok katyal

ashk

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 8:05pm

ग़लत ना समझें ,
वो मेरे किसी रिश्ते नहीं आती थी ,
दरअसल, अपने पति को, उसी अंगुली पर नचाती थी |..........वाह! बहुत खूब.

सुन्दर रचना बहुत बहुत बधाई आदरणीय.

Comment by Dr.Ajay Khare on April 18, 2013 at 5:05pm

ashok ji hasya kabhi maja hua hai badhai hasya rachna ke liye

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 17, 2013 at 6:43pm

आदरणीय अशोक कत्याल जी,  हा हा हा हह ह ह   अतिसुन्दर ।  बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 17, 2013 at 5:21pm

ग़ज़ब नचाया है साहब 

वाह बधाई हो 

सादार 

Comment by vijay nikore on April 17, 2013 at 1:22pm

अशोक जी,

सच, मज़ा आ गया पढ़ कर।

विजय निकोर

Comment by ram shiromani pathak on April 17, 2013 at 12:01pm

हाहाहा,,,,,,,,,बहुत सुन्दर!हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 17, 2013 at 10:06am

हाहाहा हाहाहा .............बहुत ज़बरदस्त हास्य लिखा है आ० अशोक कात्याल जी 

दरअसल, अपने पति को, उसी अंगुली पर नचाती थी |...........ऐसी काम की उंगुली का बीमा तो लाखों का ही होना था ..हाहः 

बधाई इस सुन्दर हास्य पर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service