For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''नाशाद मेरा मिहिर''

नाशाद मेरा मिहिर तो जिंदगी वफात है  

साँसों के गिर्दाब में इस रूह की निजात है l  

 

साहिर है तेरी कलम में कुछ कमाल का

जैसे खून में भरा हो कुछ रंग गुलाल का l

 

हर्फों में छुपा रखी है सदियों की बेबसी 

तेरे चेहरे पे अब देखती हूँ ना कोई हँसी l

 

बातों में बेरुखाई अब होती है इस कदर   

बेजार सी जिंदगी जैसे बन गई हो जहर l

 

तासीर न कम होती है होंठों को भींचकर

या बेसाख्ता बहते हुये अश्कों से सींचकर l

 

अकेले रहने का तुम्हें बहुत ही शौक था

फिर तन्हाई से क्यों होने लगा खौफ था l

  

कलम में भी तुम्हारी कुछ जरूर खास है

कैसा अजाब है कि न वो अब इखलास है l

 

मसाफत तो थी मगर इबादत में थी वफ़ा

अब इबारत-ए-तकदीर से ही हो गई जफा l

 

तुम्हारी नजरें भी लगतीं हैं खौफ से भरी     

जैसे गम भरी जिंदगी अब हो वहाँ ठहरी l

  

इक कसक सी अक्सर सफे पे उंडेल कर 

गुम जाते हो तुम कहीं अँधेरों में डूब कर l 

 

नाशाद मेरा मिहिर तो जिंदगी वफात है  

साँसों के गिर्दाब में इस रूह की निजात है l

 

-शन्नो अग्रवाल    

 

Views: 522

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shanno Aggarwal on January 26, 2012 at 11:19pm

सौरभ जी एवं गणेश, बहुत-बहुत धन्यबाद. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 26, 2012 at 10:11pm

बढिया कहा है आपने, शन्नोजी.  बधाई स्वीकारें.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2012 at 8:24pm

शन्नो दीदी सुन्दर ख्याल की रचना हेतु दाद कुबूल करे |

Comment by Shanno Aggarwal on January 25, 2012 at 7:12pm

अरुण जी, आशीष जी एवं ब्रिजभूषण जी, गजल पर आप सबके प्रसंशनीय शब्दों व हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया. 

Comment by Brij bhushan choubey on January 25, 2012 at 2:19pm

बातों में बेरुखाई अब होती है इस कदर   

बेजार सी जिंदगी जैसे बन गई हो जहर l..bahut khub ,,,bahut sundar gazl aadrniy sanno ji .

Comment by आशीष यादव on January 25, 2012 at 10:11am
Bahut sundar rachna.
Badhai.
Comment by Abhinav Arun on January 25, 2012 at 9:45am

बहुत सुन्दर आदरणीया शन्नो जी शानदार कलाम !! हार्दिक बधाई !!!

Comment by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 9:46pm

राजकुमारी जी, गजल पसंद करने का आपका दिली शुक्रिया. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 24, 2012 at 8:55pm

bahut umda ghazal.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service