For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222     1222     1222      1222

छुड़ाया  चाँद ने  दामन अँधेरी  रात में  आख़िर
परेशां  हूँ कमी  क्या है  मेरे ज़ज़्बात  में आख़िर

उसे कुछ कह नहीं सकता मगर चुप भी रहूँ कैसे
करूँ तो क्या करूँ उलझे हुए हालात में आख़िर

भुलाना  चाहता तो  हूँ मगर  मजबूरियाँ  भी  हैं
उसी की बात आ जाती मेरी हर बात में आख़िर

सुनो अय आँसुओं बेवक़्त का ढलना नहीं अच्छा
जलूँगा कब तलक मैं इस क़दर बरसात में आख़िर

मुख़ातिब हैं सभी मुझसे कि आगे और क्या है 'ब्रज'
मिले  हैं  ग़म  जुदाई  के  मुझे  ख़ैरात में  आख़िर

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 23, 2021 at 1:54pm

आदरणीय उपाध्याय जी हार्दिक आभार आपका...

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on May 30, 2021 at 5:25pm

"उसे कुछ कह नहीं सकता मगर चुप भी रहूँ कैसे
करूँ तो क्या करूँ उलझे हुए हालात में आख़िर"

वाह वाह ! बहुत सार्थक ग़ज़ल |  हार्दिक बधाई  बृजेश कुमार 'ब्रज जी | 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 20, 2021 at 7:23am

बहुत बहुत शुक्रिया भाई आज़ी तमाम जी...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 20, 2021 at 7:22am

हार्दिक आभार आदणीय धामी जी

Comment by Aazi Tamaam on May 19, 2021 at 9:47am

आ ब्रज जी सादर प्रणाम

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 17, 2021 at 9:08pm

आ. भाई ब्रिजेश जी, अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service