For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1212 - 1122 - 1212 - 22

घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर से 

वो दास्तान ज़ुबाँ पर जो आ गई फिर से 

ये उम्र कैसे कटेगी कहाँ बसर होगी 

अँधेरी रात की जाने न कब सहर होगी 

शिकस्त सारी उमीदें मिटा गई फिर से 

घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर से 

मुझे गुमाँ भी नहीं था हबीब बदलेगा 

बदल गया है मगर, यूँ नसीब बदलेगा? 

बहार बनके ख़िज़ाँ ही जला गई फिर से 

घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर से 

ज़माने में है कहाँ और वक़्त सा मरहम

नहीं है दूसरा कोई भी ऐसा ही बरहम 

घड़ी वो कैसी थी आई रुला गई फिर से 

घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर से 

वो दास्तान ज़ुबाँ पर जो आ गई फिर से 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 2, 2021 at 1:08pm

आदरणीया वीणा गुप्ता जी आदाब, नग़्मा पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है, मशकूर ओ ममनून हूँ। सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर। 

Comment by Veena Gupta on March 2, 2021 at 4:09am

 ख़ूबसूरत नग़मा,मुबारकबाद क़ुबूल करें

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 23, 2021 at 11:46pm

जनाब कृष मिश्रा 'जान' साहिब आदाब, नग़्मा पर आपकी दाद, मुबारकबाद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर। 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 23, 2021 at 4:24pm

बहोत खूबसूरत नग़मा हुआ है आदरणीय अमीरुद्दीन सर जी ढेरों मुबारकबाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 22, 2021 at 9:32pm

जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, रचना पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर। 

Comment by Aazi Tamaam on February 22, 2021 at 9:45am

सादर प्रणाम आदरणीय अमीर जी

अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
5 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या है अपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले…"
17 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
35 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
48 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service