For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़म सभी की ज़ीस्त से हों लापता कीजे दुआ

ग़ज़ल( 2122 2122 2122 212 )
ग़म सभी की ज़ीस्त से हों लापता कीजे दुआ
और ख़ुशियों से हो पैहम सामना कीजे दुआ
**
दिल मिलाने के लिए आगाज़ हो इक जश्न का
दिल न कोई अब रहे टूटा हुआ कीजे दुआ
**
नफ़रतों के सब शजर उखड़ें हमारे मुल्क से
और शगुफ़्ता हर शजर हो प्यार का कीजे दुआ
**
मुल्क में जनता न हो बीमार रोगों से कभी
हर मकाँ में पा न रख पाए क़ज़ा कीजे दुआ
**
रब तरक़्क़ी की लकीरें सिर्फ़ हाथों में लिखे
या लिखें ख़ुद ही मुक़द्दर आपका कीजे दुआ
**
जाहिलों के हर मकाँ में इल्म की हो रोशनी
दूर हो जाये अँधेरों की घटा कीजे दुआ
**
हर नदी को हो मयस्सर बह्र कोई ज़ीस्त में
हर सफ़ीने को मिले इक नाख़ुदा कीजे दुआ
**
चाहतों और हसरतों के कारवाँ आगे बढ़ें
हो रुख़ों पर कामयाबी की ज़िया कीजे दुआ
**
मय ग़ुरूर-ए-हुस्न ज़र का और सत्ता का नशा
है 'तुरंत ' अब तक तो वो छूटे नशा कीजे दुआ
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 10, 2021 at 3:33pm

भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी , इस प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार एवं नमन | 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 10, 2021 at 10:34am

आ. भाई गिरधारी सिह जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 1, 2021 at 11:13pm

आदरणीय  Samar kabeer साहेब , आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई का दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | 

Comment by Samar kabeer on February 1, 2021 at 7:14pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 31, 2021 at 2:31pm

आदरणीय Chetan Prakash जी , आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ , यह सही है मेरी ग़ज़लों में सपाट बयानी होती है , हालाँकि सपाट बयानी क्या है इसका दायरा संदेह  के घेरे में रहता है | मेरा मक़सद सिर्फ़ इतना रहता है बात हर पढ़ने वाले के दिल तक पहुंच जाए जो मैं कहना चाहता हूँ | आपकी बधाई से मेरा मक़सद पूरा हुआ | 

Comment by Chetan Prakash on January 31, 2021 at 1:28pm

अच्छी गजल हुई, तुरंत साहब ! सपाट बयानी और गजल जैसी रोमानी विधा में खटकती है, ज़रूर ! फिर भी बधाई स्वीकार करें जनाब !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
42 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
9 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service