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होता नहीं है ख़त्म मेरा काम भी कभी......( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

221 2121 1221 212

होता नहीं है ख़त्म मेरा काम भी कभी
कैसे करे ये दिल बता आराम भी कभी  (1)

अब हो न जाँऊ यार मैं बदनाम भी कभी
हो जाए मुफ्त में न मेरा नाम भी कभी  (2)

क्या क्या चुरा लिया है ये मुझसे न पूछिये
लूटा गया है मुझको सर-ए-आम भी कभी  (3)

कुछ इस तरह से छोड़ गए हैं मुझे यहाँ
आते नहीं हैं मुद्दतों पैगाम भी कभी  (4)

करते रहे हवाई सफ़र मुफ़्त में सदा
कुछ लोग तो चुकाते नहीं दाम भी कभी  (5)

वैसे है बेगुनाह अभी है वो जेल में
क़ातिल पे तो लगाइये इल्ज़ाम भी कभी  (6)

चर्चा बहुत हुआ था मगर यार आजकल
होता नहीं है जिक्र किसी शाम भी कभी  (7)

 उसको सज़ा ही दी है अभी तक तो आपने
'सालिक' को दे भी दीजिये इनआम भी कभी  (8)

*मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by सालिक गणवीर on January 12, 2021 at 6:50pm

आदरणीय समर कबीर साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार.
जैसा कि मैंने चेतन प्रकाश जी को बताया
सब को सज़ा तो दे दी है बेवज्ह आपने-----
लिखना चाह रहा था मगर इससे बहतर मिसरा आपने सुझाया है, कबीर साहिब बहुत शुक्रियः ममनून हूँ . सादर

Comment by सालिक गणवीर on January 12, 2021 at 6:44pm

आदरणीयChetan Prakash जी
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार.
दरअस्ल टाइप करते वक़्त गलती हो गई है मुहतरम ,वास्तव में
सब को सज़ा तो दे दी है बेवज्ह आपने-----
लिखना चाह रहा था इससे बहतर तरमीम कबीर साहिब ने कर दी है. सादर

Comment by सालिक गणवीर on January 12, 2021 at 6:36pm

आदरणीय भाई  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार.

Comment by Samar kabeer on January 12, 2021 at 5:43pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I

मक़ते का ऊला बह्र में नहीं है,यूँ कर सकते हैं :-

`उसको सज़ा ही दी है अभी तक तो आपने`

Comment by Chetan Prakash on January 11, 2021 at 7:03pm

आदाब सालिक गणवीर भाई ! ग़ज़ल कुल मिलाकर अच्छी लगी, बधाई स्वीकार करे। परन्तु मकता कहीं मन मे खटकता रहा, जहाँ आपने बेवजह की मात्रा बढ़ाकर बेवजाःह कर मात्रा भार ही पूरा किया। लेकिन लय जाती रही । साभार !

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 11, 2021 at 11:26am

आ भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

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