For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आओ गटके पान सुपारी....... सौरभ जी

Views: 166

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on March 9, 2012 at 1:08pm

अनगढ़ सा

उफ्फ्फ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 9, 2012 at 1:03pm

भाई गणेशजी, रवि जी, वीनस जी, विवेकजी, धर्मेन्द्रजी.. . आप सभी को मेरा हर्दिक धन्यवाद कि आपको प्रस्तुत रचना पसंद तो थी ही, मेरा अनगढ़ सा काव्य-पाठ भी रुचा. ..

सहयोग बनाये रखें.

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 4, 2011 at 11:47pm

अहह, क्या शिल्प है, क्या कथ्य है। मेरे विचार में इसे सदी के महानतम नवगीतों में से एक कहा जाना चाहिए। कितनी सरलता से सड़क पर जाते हुए एक आम आदमी के जीवन में उपस्थित बिंबों की सहायता से उसके जीवन को बड़ी ही खूबसूरती के साथ चित्रित किया गया है। सौरभ जी की मधुर आवाज़ में इसे सुनने का आनंद ही अलग है। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस रचना के लिए और राणा जी को इसे यहाँ प्रस्तुत करने के लिए।

Comment by विवेक मिश्र on December 4, 2011 at 11:50am

सच कहूँ तो इस कविता सुनने में मैं इतना तल्लीन था कि वीडियो शूटिंग से बार-बार मेरा ध्यान भटक जाता था. खैर, जैसे-तैसे रिकॉर्डिंग पूरी हुई. काव्य-गोष्ठी से लौटने के तुरंत बाद जब इस वीडियो को मेरे मित्रों ने देखा, तो सभी ने मुक्त कंठ से कविता-पाठ की सराहना की. अच्छी बात यह लगी कि जो लोग कविता को मात्र गुनगुनाने की दृष्टि से देखते हैं, उन्हें भी इस कविता में प्रयुक्त देशज शब्द (खैनी, सरौता, पान-सुपारी आदि) काफी रुचे. और मैं... मैं तो पहले से ही सौरभ सर के विस्तृत शब्दकोष और विस्तृत विचारों का मुरीद रहा हूँ. मेरे पैर कहाँ जमीन पर थे.. :)))))

Comment by वीनस केसरी on December 3, 2011 at 10:36pm

वाह वा ...
सुर लय ताल
सब कुछ परफेक्ट

सौरभ जी से यह रचना सुन कर मन प्रसन्न हो गया था मैं भी वीडियो कई बार देख चुका हूँ क्योकि मेरे पास पहले से उपलब्ध है

राणा जी को विशेष धन्यवाद देता हूँ कि आज सौरभ जी के जन्मदिन पर आपने वीडियो पोस्ट किया

Comment by Rash Bihari Ravi on December 3, 2011 at 11:14am

vah vah jabardast bhaiya


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 3, 2011 at 10:32am
वाह वाह वाह, जबरदस्त प्रस्तुति, कई बार सुन चूका, बेहतरीन, बहुत बहुत बधाई सौरभ भाई साहब को और इस चलचित्र को हम लोगो से साझा करने के लिए भाई राणा जी को कोटिश: धन्यवाद |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 3, 2011 at 10:10am

अभिभूत हुआ, राणाजी !!   भाईजी, यह तो गिफ़्ट भी मिल गया !!!

सधन्यवाद .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service