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एक प्रयास दो रंग. मुक्तहरा सवैया (जगण x 8)

नवीन लगे दिन रात नवीन सुहावत है हर बात नवीन/

नवीन खिले सब फूल-बहार,बयार चली भर शीत नवीन/

नवीन मिला जब साथ भई हथ हाथ लिए कुछ बात नवीन/

नवीन प्रसंग नवीन उमंग मिला मन को मन मीत नवीन//

करो न बचाव मिले उसको भरपूर सजा अरु दंड कठोर/

बने जहं भी नर कोय पिशाच, चुभे उसको गल फांस कि डोर/

जहां नित शोषित नार रहे सरकार में शामिल हों सब चोर/

वहाँ न सुरक्षित नार रहे घरबार न द्वार न मित्र न मोर/

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Comment by Ashok Kumar Raktale on December 27, 2012 at 5:41pm

आदरणीय प्रदीप जी सादर, आपकी दोहा छंद पर रुचि ने मन मोह लिया है.बस ज़रा सा दोहा विधान के अनुसार १३ - ११ मात्रा को भी निभाइए और आइये छंद सीखने कि कक्षा में मेरे साथ आप भी होंगे तो कक्षा कि रौनक और भी बढ़ जायेगी. स्वागत.

देख नवीनता आपकी प्रदीप भये नवीन २१    १२१२      २१२, १२१  १२ १२१

नारी असुरक्षित वहाँ  रहे  जहाँ कमीन   २२   ११२११       १२, १२    १२ १२१

 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 27, 2012 at 5:00pm

आदरणीय भ्रमर जी सादर सवैया और सक्रीय सदस्य पर आपकी बधाई पाकर प्रसन्नता हुई. आपका बहुत बहुत आभार.जय श्री राधे.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 3:16pm

देख नवीनता आपकी प्रदीप भये नवीन 

नारी असुरक्षित वहाँ  रहे  जहाँ कमीन

अब देखिये सर जी, 

सादर 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 26, 2012 at 9:59pm

प्रिय अशोक भाई माह का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर आप के श्रम और लगन को बधाई जय श्री राधे 

भ्रमर 5 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 25, 2012 at 10:38pm

प्रिय अशोक भाई सुन्दर जज्बात और सुन्दर सन्देश देती सरकार और समाज को जगाती हुयी ये रचना .सवैया सुन्दर रही ...बधाई 

भ्रमर 5 
Comment by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2012 at 6:36pm

आदरेया प्राची जी सादर, आपकी शिकायत को सुधार कर पुनः सवैया प्रस्तुत किया है यदि आप इसे पढ़ें तो अवश्य कोई त्रुटी हो तो अवगत कराएं.आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2012 at 6:34pm

सवैया प्रयास पर आपसे सराहना पाकर संबल मिला. आपका हार्दिक आभार आदरेया राजेश कुमारी जी सादर.


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Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 12:55pm

आदरणीय अशोक रक्ताले जी हर सवैया में आपका प्रयास बहुत प्रेरणास्पद है ,बहुत सुन्दर सामयिक सवैये लिखे  हैं दूसरा तो बहुत ही सार्थक है बहुत पसंद आया ,हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 24, 2012 at 8:37pm

आदरणीय लड़ीवाला जी एवं आदरेया महिमाश्री जी आपसे छंद के प्रस्तुत भाव पर सराहना पा कर प्रसन्नता हुई. आप दोनों का ही बहुत बहुत आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 24, 2012 at 8:34pm

आदरेया प्राची जी सादर, बिलकुल सही है भाव निर्वहन  दोनों ही विषयों पर संतुलित ही रख पाया हूँ. दोनों ही सवैया में जो त्रुटियाँ आपने निर्धारित की है उसमे अवश्य ही सुधार करूँगा. सादर.

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