For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तक - (रवि प्रकाश)

वज़न-।ऽऽऽ ।ऽऽऽ ।ऽऽऽ ।ऽऽऽ

1. नहीं शिकवा नज़ारों से अगर नज़रें फिसल जाएँ,
भले ख़ामोश आहों में सुहाने पल निकल जाएँ।
तेरी मग़रूर चौखट पे नहीं मंज़ूर झुक जाना,
हमेशा का अकेलापन भले मुझ को निगल जाए॥

.
2. तुम्हारे रूप की गागर न जाने कब ढुलक जाए,
चटख रंगीनियों में भी पुरानापन झलक जाए।
मगर मेरी मुहब्बत तो सदानीरा घटाएँ है,
वहीं अंकुर निकलते हैं जहाँ पानी छलक जाए॥

.
3. किसी जुम्बिश में धड़कन के अभी अहसास बाक़ी है,
अपरिचित आहटों में भी तेरा आभास बाक़ी है।
न जाने कौन सी उम्मीद पे शम्मां भड़कती है,
मिलन अपना असम्भव है मगर विश्वास बाक़ी है॥

मौलिक व अप्रकाशित।

Views: 688

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on July 21, 2013 at 7:17am
धन्यवाद!
Comment by बृजेश नीरज on July 21, 2013 at 7:13am

अति सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 20, 2013 at 5:35pm

आदरणीय..रवि जी, सुंदर रचना प्रस्तुति पर, आपको हार्दिक बधाई

Comment by Ravi Prakash on July 20, 2013 at 5:17pm
thank you sir
Comment by Abhinav Arun on July 20, 2013 at 2:49pm
आदरणीय  श्री रवि जी बहुत सुन्दर मनमोहक रचना के लिए हार्दिक बधाई - 
तुम्हारे रूप की गागर न जाने कब ढुलक जाए,
चटख रंगीनियों में भी पुरानापन झलक जाए।
मगर मेरी मुहब्बत तो सदानीरा घटाएँ है,
वहीं अंकुर निकलते हैं जहाँ पानी छलक जाए॥
सुन्दर पंक्तियाँ वाह वाह , बंधुवर बहुत शुभकामनायें !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मनचाही सभी सदस्यों नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के…"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"<span;>आदरणीय अजय जी <span;>आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
3 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"विषय बहुत ही चुनकर देते हैं आप आदरणीय योगराज सर। पुराने दिन याद आते हैं इस आयोजन के..."
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।तीसरी और चौथी पंक्तियों को पढ़ते समय…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना है सादर बधाई आपको"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय रवि शुक्ला जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar updated their profile
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"भाई मयंक जी, व्यवहार में निरमलता व विनम्रता ही ज्ञान का परिचय देती । सभी वरिष्ठों का आशीष बना रहे…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मंच के सभी सदस्यों को सादर अभिवादन। कई बार मन में आया कि मंच से वरिष्ठ व अनभवी और मार्गदर्शक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय नीलेश भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सलाह के लिए आपका आभार  आपकी दोनों सलाह अच्छी हैं ,…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service