For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: दिल ए नादान से हरगिज़ न संभाली जाए

दिल ए नादान से हरगिज़ न संभाली जाए 
आरजू ऐसी कोई दिल में न पाली जाए

जान मांगी है तो अपनी भी यही कोशिश है 
ऐ मेरे दोस्त तेरी बात न खाली जाए

अपने हाथों के करिश्मे पे भरोसा करके 
अपनी सोई हुई तक़दीर जगा ली जाए

आज फिर छत पे मेरा चाँद नज़र आया है 
क्यूँ न फिर आज चलो ईद मना ली जाए

घर में दीवार उठी है तो कोई बात नहीं 
ऐसा करते हैं कि छत अपनी मिला ली जाए

जब किसी और के बस में नहीं है खुश रखना 
खुद ही खुश रहने की तरकीब निकाली जाए

जब किसी को भी गुनाहों की सज़ा देनी हो
इक नज़र अपने गुनाहों पे भी डाली जाए

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 816

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on November 14, 2017 at 7:15pm
अलोक जी
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद, कमिओं को पहले ही बताया जा चुका है, भाई हम सब की ख़ुश क़िस्मती है कि इस ब्लाग में बड़े ही उम्‍दा लोग है जिनके वज़ह से ग़लती सुधार जाती है,..
Comment by Alok Rawat on November 14, 2017 at 2:09pm

मोहतरम अफ़रोज़ साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आप लोगों की बातों का ख्याल रखूंगा।  

Comment by Afroz 'sahr' on November 13, 2017 at 10:01pm
आदरणीय आलोक रावत इस रचना पर शेर दर शेर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ । आदरणीय समर साहिब के मशविरों पर गौ़र करें। आपने नियमानुसार अर्कान नहीं लिखें हैं,,,,,,
Comment by Alok Rawat on November 13, 2017 at 7:50pm

aap log yun hi sarparasti karte rahenge to behtar tareeqe se ghazal kah sakoonga...

Comment by Alok Rawat on November 13, 2017 at 7:48pm

janaab mohaammad arif sahab... janaab samar kabeer sahab... aapki hauslaafzaai ke liye bahut bahut shukriya... aur islaah ke liye bhi bahut bahut shukriya...

Comment by Mohammed Arif on November 13, 2017 at 6:43pm
आदरणीय आलोक रावत जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास । मुबारकबाद क़ुबूल करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बातों का संज्ञान लें ।
Comment by Samar kabeer on November 13, 2017 at 5:39pm
जनाब आलोक रावत जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।तो

'दिल-ए-नादान से हरगिज़ न सँभाली जाए'
सानी मिसारे में 'ऐसी'शब्द है इस लिहाज़ से ऊला यूँ होना चाहिए:-
'दिल-ए-नादाँ से जो हरगिज़ न सँभाली जाए'

दूसरे शैर में शुतरगुर्बा का दोष है,इसलिये ऊला मिसरा यूँ करना बहतर होगा:-
'जान मांगी है तो मेरी भी यही कोशिश है'

'अपने हाथों के करिश्मों पे भरोसा करके'
इस मिसरे में 'करिश्मों'लफ़्ज़ मुनासिब नहीं है,इसे यूँ कर सकते हैं:-
'अपने हाथों के हुनर पर ही भरोसा करके'
बाक़ी शुभ शुभ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service