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ग़ज़ल : उसके लब पे रहती है  मुस्कान सदा - सलीम रज़ा रीवा

22 22 22 22 22 2
.....
जो बनकर के जीता है  इंसान सदा,
उसके लब पे रहती है  मुस्कान सदा
..
क्या अफसोस कि शाख़ से पत्ते टूटे हैं,
गुलशन में तो आते हैं तूफ़ान सदा
..
हक़ पे चलने वाले हक़ पे चलते हैं,
माना  की बहकाता है शैतान सदा 
..
धीरे - धीरे शेर मेरे भी चमके गें,
पढ़ता हूँ मै ग़ालिब का दीवान सदा
..
रिज़्क मे उसके बरकत हरदम होती है,
जिसके घर में आते हैं मेहमान सदा
..
भेद भाव से दूर "रज़ा" जो रहता है,
महफ़िल में वो पाता है  सम्मान सदा
..
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 9:31pm

आदरणीय, वीनस केसरी जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया
आपकी महब्बत सलामत रहे

Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 9:30pm

आदरणीय, अरुण कुमार निगम जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया
आपकी महब्बत सलामत रहे

Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 9:29pm

आदरणीय, विजय मिश्र जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया
आपकी महब्बत सलामत रहे

Comment by Mohammed Arif on October 6, 2017 at 8:01pm
आदरणीय सलीम रज़ा जी आदाब, बहुत ही अच्छी ग़ज़ल । हर शे'र माक़ूल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
नोट:-कितना अच्छा हो अगर आप जैसे ग़ज़लगो साहित्य की अन्य विधाओं पर अपनी सृजनशीलता का परिचय देने वालों को भी अपनी टिप्पणियों से पोषित कर हौसला बढ़ाएँ ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 6, 2017 at 5:08pm
जनाब सलीम साहिब ,अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें । शेर2 -तूफ़ान गुलशन में नहीं समंदर में आते हैं ,देखियेगा शेर4 उला मिसरे में अब की जगह भी करके देखिए
Comment by राज़ नवादवी on October 6, 2017 at 4:28pm

आदरणीय सलीम रज़ा साहब, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए बधाई ! सादर 

Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 4:11pm
आदरणीय, सौरभ जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया
आपकी महब्बत सलामत रहे
Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 4:08pm
आ. बृजेश जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया,
Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 4:06pm
अशोक कुमार जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया,
Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 4:05pm
आली जनाब समर साहब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया.. आपकी महब्बत सलामत रहे,, ये मेरी ख़ुशनसीबी की आप सब की महब्बत हमें मिल रही है.

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