For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

.
▬► Photography by : Jogendrs Singh ©

::::: मैं एक हर्फ़ हूँ ::::: Copyright © (मेरी नयी कविता)
जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 09 अगस्त 2010 )

मेरे मित्र आर.बी. की लिखी एक रचना जो नीचे ब्रैकेट्स में लिखी है से प्रेरित होकर मैंने अपनी रचना रची है..
आर.बी. की मूल रचना नीचे है आप देख सकते हैं ► ► ►
((hum dono jo harf hain....
hum ek roz mile....
ek lafz bana...
aur humne ek maane paaye,...
phir jaane kya hum per guzri ....
aur..
ab yun hain....
tum ek harf ho ek khaane mein ....
main ek harf hoon ek khaane mein ....
beech mein kitne lamhoN ke khaane khaali hain......
phir se koi lafz bane.....
aur hum dono ek maane paayeiN ......
aesa ho sakta hai...
lekin.....
sochnaa hogaa...
in khaali khaanoN Mein humeiN bharnaa kya hai... ► आर.बी.))

▬► NOTE :- कृपया झूठी तारीफ कभी ना करिए.. यदि कुछ पसंद नहीं आया हो तो Please साफ़ बता दीजियेगा.. मुझे अच्छा ही लगेगा..
▬► !!..धन्यवाद..!!
.

Views: 859

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विवेक मिश्र on September 9, 2010 at 5:22pm
आदरणीय जोगेंद्र जी.. आपकी नज़्म पढ़ी. बहुत ही अच्छी पेशकश है. पढ़कर आनंद आया. "हुलराना" शब्द का अर्थ स्पष्ट नहीं हुआ. ज़रा मेरा ज्ञान बढ़वाइये.
हाँ.. एक और बात. ये कविता जिसे आपके मित्र श्रीमान R.B. जी ने लिखा है, असल में जावेद अख्तर साहब की लिखी 'तरकश' से है. वहाँ इस नज़्म का शीर्षक है "मुअम्मा" (जिसका अर्थ 'पहेली या उलझन' होता है).
Comment by आशीष यादव on September 7, 2010 at 11:42am
jogendra ji aapki rachana padhkar ek hunk si uth rahi hai. lagta hai ki koi apna koso dur chala gaya hai jo hamaare bagair kabhi n rahne ki kalpna karta tha |
in par mai apni shayri pesh kar raha hu,
कभी इश्क में मरने की कसमें वो खाते थे;
अब देखो प्यार छोड़ किस कदर मुस्कराते हैं|
कहते थे, तेरे बिना हम चल नहीं सकते;
कैसे हाथ गैर का थाम, सामने से जाते हैं||
Comment by Subodh kumar on September 6, 2010 at 5:19pm
kya baat jogi...kya shaandaar likha hai tumne..bhai tum lekhak ke saat saath achche kalakaar bhi ho..kya edit kiya hai...ati sunder dost!
Comment by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 6, 2010 at 2:22pm
@ बागी भई , मानवर्धन के लिए धन्यवाद ... :)

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2010 at 2:16pm
अच्छी रचना है योगिंदर भाई, आप की शैली जबरदस्त है, बहुत बढ़िया, शानदार अभिव्यक्ति हेतु बधाई स्वीकार करे,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
41 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service