For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोस्त क्यूँ होते हैं, इस सवाल का जवाब जिंदगी के अलग अलग समय में अलग अलग हो सकता है. लेकिन एक जवाब तो कामन है कि जो आपके लिए हमेशा खड़ा रहे, आपकी हर मुसीबत में काम आए, वही असली दोस्त होता है. बहरहाल अधिकांश दोस्त ऐसे होते भी हैं, बस कुछेक अपवाद को छोड़कर.
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अगर सियापा ही न करें तो दोस्त कैसे, ये अलग बात है कि आप माने या न माने. अमूमन ऐसे दोस्त तो जिंदगी के शुरूआती दिनों में ही मिलते हैं जब आपके ऊपर किसी किस्म के सियापे का कोई असर नहीं पड़े. और मुझे तो बिलकुल नहीं लगता था कि ऐसे दोस्त एक समय के बाद मिलते भी हैं, मतलब तब, जब आप जीवन के पचास बसंत पार कर चुके हों. लेकिन अब मानना पड़ रहा है और उसकी वाजिब वजह भी है.
शादी के पच्चीस साल बीतने के बाद अगर घरवाली कुछ दिनों के लिए बाहर गई हो तो यह समय आपके लिए सबसे उम्दा होता है. आप चाहें तो इससे इत्तेफ़ाक़ नहीं भी रख सकते हैं लेकिन आपका जमीर भी यह जानता है कि आप गलत हैं. अब ऐसे में तो यह लाज़मी है कि आप चाहे जितना भी खुश हों, रोज सुबह शाम वीडियो काल पर बात करते समय आपको थोड़ा दुखी दिखने का अभिनय करना ही पड़ता है. बचपन में गलती करने के बाद आपका मासूम दिखने का सफल अभिनय यहाँ खूब काम आता है, जब आपकी माँ को दुनिया के सब लड़के बदमाश दिखते थे, एक आपके सिवा.
यह सब ठीक ठाक ही चल रहा था, रोज हम दिन भर अपने को शाबाशी देते रहते कि कल रात को कितनी बढ़िया एक्टिंग की थी. लेकिन जब आपकी शामत आनी होती है तो आ ही जाती है, या यूँ कह लीजिये कि उपरवाले से भी आपका सुख ज्यादा दिनों तक देखा नहीं जाता. बस हुआ यूँ कि हमारे एक पुराने दोस्त हमसे मिलने आफिस आए और जब हम लोग खुश होकर ठहाके लगा रहे थे तो उन्होंने हमारी हंसती हुई तस्वीर खैंच ली. दरअसल वह अपने पत्नी के साथ थे इसलिए जाहिराना तौर पर वह उतने खुश नहीं थे जितना मैं था. यह सब इतने चुपचाप हुआ कि मुझे भनक तक नहीं लगी कि उन्होंने मेरी हंसती हुई तस्वीर किसी और प्रयोजन के लिए खैंच ली थी. यहाँ तक तो ठीक था लेकिन कुछ ही घंटों में उनके द्वारा निहायत ही बेरहमी से वह तस्वीर इस कैप्सन के साथ कि "कितना खुश है अकेले में" घरवाली को भेज दी गई. तस्वीर भेजने के पहले या बाद में भी उन्होंने मुझे इसके बारे में बताना भी गंवारा नहीं समझा. शाम होते होते हमने अपने अभिनय की तयारी कर ली थी और मैं अभी वीडियो काल करूँ उसके पहले ही उधर से फोन आ गया. अपने बॉस के फोन आने से भी संभवतः इतनी घबराहट नहीं होती है जितनी घरवाली के अचानक आये फोन से. मैंने यथासंभव अपनी घबराहट को दबाते हुए बेहद मुलायम शब्दों में इतना ही कहा था "कैसी हैं बेगम, आपको बहुत मिस कर रहा हूँ", कि उन्होंने वह फोटो भेजी और कहा "अभी एक आपकी दुःख भरी फोटो भेजी है, आपके दोस्त ने आज भेजी थी. अब मैं सोच रही हूँ कि आपको और ज्यादा मिस करने का मौका नहीं दूँ", और फोन काट दिया. मैंने घबराते हुए फोन में फोटो देखा, कम्बख्त वही फोटो थी जिसमें मेरी खुशियां मेरे चेहरे पर समां नहीं रही थी".
अब इस वाकये का परिणाम यह हुआ है कि अब उधर से तत्काल का टिकट लेकर बेगम की तुरंत वापसी की खबर आ गई है. बस आज से एक नयी कसम खायी है कि दोस्त चाहे कितना भी अच्छा हो, उससे संभल कर ही रहना है.


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 400

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on March 26, 2019 at 3:37pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब

Comment by Samar kabeer on March 20, 2019 at 3:31pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
2 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
2 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service