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रगों में बहता खून  (लघुकथा )

 कैदी ! तुझसे कोई  मिलने आया है I’ –जेल के सिपाही ने सूचना दी  I अगले ही पल काले कोट में एक वकील प्रकट हुआ I

‘आपकी पत्नी ने मुझे आपका वकील एपॉइंट किया है I आप मुझे सच-सच बताइए कि आपने मैरिज-कोर्ट में अपने बेटे की हत्या क्यों की ? क्या आपकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी ?’

     कैदी कुछ नहीं बोला I उसने मुँह फेर लिया I वकील असमंजस में पड़ गया I कुछ देर चुप रहकर वह बोला –‘ देखिये अगर आप ही सहयोग नहीं करेंगे तो मैं आपकी मदद कैसे कर पाऊंगा ?’

‘वकील साहब, आप अपना समय बर्बाद कर रहे हैं i मैंने मैरिज-कोर्ट में सबके सामने उसे गोली मारी है I मुझे तो भगवान भी नहीं बचा सकता I ‘

‘आपकी पत्नी का कहना है कि आपको सायको की बीमारी है और आपको अँधेरे और एकांत से बहुत डर लगता है I ‘

‘लगता था I पर उसका इलाज चल रहा है I अब सायको कंट्रोल में है I’

‘कंट्रोल में है ? यानी पूरी तरह ठीक नहीं है I’

‘मेरी समझ में यह पूरी तरह ठीक होता ही नहीं I जीवन भर दवा लेती रहनी पडती है I’

‘बस यही एक पॉइंट है, जिससे मैं आपको निर्दोष साबित कर सकता हूँ I ‘

‘वह कैसे ?’- बूढ़े कैदी ने विस्मित होकर कहा I

‘वह सब आप मुझ पर छोड़ दीजिये I बस यह सच-सच बताइए कि किन परिस्थितियों में आपने अपने ही बेटे को गोली मार दी I ‘

‘वकील साहब, मेरा बेटा मुहल्ले की एक लडकी पर दीवाना था I पर लडकी की माँ किसी भी सूरत पर दोनों के विवाह के लिए राजी नहीं  थी I जब तक मुझे उस लडकी के बारे में पता नहीं  चला, मैं बेटे के समर्थन में था I पर उस लडकी की कैफियत मालूम होते ही मैं भी उसकी शादी के खिलाफ हो गया I इस बात पर मेरे लडके ने बगावत कर दी और वह उसे लेकर मैरिज-कोर्ट पहुंच गया I मुझे पता चला तो मैं भी भागा-भागा वहाँ पहुँचा I कोई और उपाय न देखकर मैंने उस पर गोली चला दी I ‘

‘मगर आप बेटे को समझा सकते थे कि वह लडकी ठीक नहीं थी ?’

‘क्या बात करते है वकील साहब, उस लडकी की रगों में मेरा ही तो खून था I’

(मौलिक /अप्रकाशित))

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 24, 2018 at 11:28pm

अच्छी रचना हुई है, आदरणीय गोपाल नारायण जी| हार्दिक बधाई आपको| 

Comment by Nita Kasar on December 22, 2018 at 9:39pm

कड़वी सच्चाई ,एक तरफ कुँआ,एकतरफ खाई ।बधाई कथा के लिये आद० डां०गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ।

Comment by Samar kabeer on December 22, 2018 at 2:01pm

जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 22, 2018 at 12:21pm

एक कसक सी छोड़ गई लघु कथा आदरणीय...

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