For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

३ क्षणिकाएँ ...

छोटी सी बात
साँय-साँय करती रात
स्मृति पटल को दे गई
अमर
स्पर्श
सौग़ात

........................

व्योम
शून्यता के पर्याय के अतिरिक्त
आश्रय स्थल भी है
उन स्मृतियों का
जो जीती हैं
मिट कर भी
अंत से अनंत तक

.....................................

भला घर
खंडहर में
तब्दील कब होते हैं
जब तक

रस मधुरस में एक रचना
 
३ क्षणिकाएँ ...
 
छोटी सी बात
साँय-साँय करती रात
स्मृति पटल को दे गई
अमर
स्पर्श
सौग़ात
 
........................
 
व्योम
शून्यता के पर्याय के अतिरिक्त
आश्रय स्थल भी है
उन स्मृतियों का
जो जीती हैं
मिट कर भी
अंत से अनंत तक
 
.....................................
 
भला घर
खंडहर में
तब्दील कब होते हैं
जब तक
बुज़ुर्ग साथ होते हैं
खंडहर भी
घर होते हैं
 
..............................
 
सुशील सरना

साथ होते हैं
खंडहर भी
घर होते हैं

..............................

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 503

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 6, 2018 at 7:55pm

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह  जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 6, 2018 at 7:54pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan  जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 6, 2018 at 7:54pm

आदरणीय Samar kabeer जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 6, 2018 at 7:54pm

आदरणीय राज़ नवादवी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on December 6, 2018 at 4:28pm

आदरणीय सुशील सरना जी गजब सुंदर रचना खासकर वह पंक्ति बुजुर्ग साथ होते हैं बहुत ही बेहतरीन है, बहुत बहुत बधाई

Comment by narendrasinh chauhan on December 4, 2018 at 11:40am
भला घर
खंडहर में
तब्दील कब होते हैं
जब तक
बुज़ुर्ग साथ होते हैं
खंडहर भी
घर होते हैं
 आदरणीय सुशील सरना जी खूब सुन्दर रचना 
Comment by Samar kabeer on December 4, 2018 at 11:37am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by राज़ नवादवी on December 4, 2018 at 9:49am

वाह आदरणीय सुशील सरना जी वाह,

भला घर
खंडहर में
तब्दील कब होते हैं
जब तक
बुज़ुर्ग साथ होते हैं
खंडहर भी
घर होते हैं
सुन्दर रचना, बधाई स्वीकार करें. सादर. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"घटिया बोतल में बिके, दूषित गंदा नीर| फिर भी पीते लोग हैं, बात बड़ी गम्भीर||// जी बहुत सही बात। खाली…"
6 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"प्रतिक्रिया और सुझाव के लिए हार्दिक आभार आदरणीय। पंक्ति यूँ करता हूँ: तापमान को टाँकना, चाहे जितने…"
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
35 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"छिपन छिपाई खेलता,सूरज मेघों संग। गर्मी के इस बार कुछ, नर्म लग रहे रंग।। -- प्रदत्त चित्र पर क्या…"
37 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर ........ वाह, सूरज को…"
44 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जलता सूरज जेठ का, खींचे सारा नीर। एक घूंट से क्या बुझे, तृष्णा है गंभीर।।// वाह. बहुत सुन्दर..…"
47 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सूरज   आँखें   फाड़कर, जहाँ  रहा  ललकार। वहीँ  चुनौती …"
50 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दो पल बरसा दे अगर, शीतल जल की धार।तन-मन ये मन  से  करें,  बदली का आभार।१३।// वाह…"
55 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी, प्रदत्त चित्र पर आपका प्रयास अच्छा है। मौसम को चुनौती देती…"
56 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश श्रीवास्तव सर, नमस्कार, अर्से बाद आपकी रचना से गुज़र रहा हूँ। दिए गए चित्र पर लोगों…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, विस्तृत टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार,  दोहा के विषय में जो भी सीखा है…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service