For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जहाँ का दर्द समाया.....

( ग़ज़ल )
जहाँ का दर्द समाया सभी की आह में है।
तमाम शहर का मंज़र मेरी निगाह में है।।

जिसे भी कमियों से उसकी किया ज़रा आगाह।
बड़ा सा दाग़ दिखाता वो शख़्स माह में है।।

तमाम ख़ार में इक आध गुल कहीं दिखता।
बहार गर्दिश-ए-सहरा की ज्यूँ पनाह में है ।

बचा रहा है बशर ख़ुद को हक़ बयानी से ।
के ख़ौफ़ इतना है जैसे वो क़त्ल गाह में है।।

नहीं है कुछ भी ख़बर रोज़-ए-हस्र क्या होगा।
फँसा हर एक बशर शौक से गुनाह में है।।

जो कर रहीं हैं सभी साँस की लहरों पे सफ़र।
हर एक कश्ती वो तूफ़ान की निगाह में है।।

तलाशग़ीर है तू साहिल-ए-समंदर पर।
जो एक गौहर-ए-नायाब इस की थाह में है।।

गुरूर का है नश्आ फ़र्क इस लिये अय"राज़"।
सफेद से भी कहाँ दिख रहा सियाह में है।।

विवेक मिश्र("राज़"खैराबादी)
अप्रकाशित वा मौलिक

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2018 at 4:19pm

आ. विवेक जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by राज़ नवादवी on November 23, 2018 at 5:57pm

जहाँ का दर्द समाया सभी की आह में है।
तमाम शहर का मंज़र मेरी निगाह में है।।

वाह वाह बहुत खूब जनाब विवेक राज जी, ख़ूबसूरत मतला. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए बधाई. सादर. 

Comment by Vivek Raj on November 23, 2018 at 11:59am

आदरणीय उत्साह वर्धन हेतु आपका आभारी रहूँगा।

Comment by TEJ VEER SINGH on November 23, 2018 at 11:41am

हार्दिक बधाई आदरणीय विवेक राज जी। बेहतरीन गज़ल।

बचा रहा है बशर ख़ुद को हक़ बयानी से ।
के ख़ौफ़ इतना है जैसे वो क़त्ल गाह में है।।

Comment by Vivek Raj on November 22, 2018 at 7:04pm
आदरणीय.सादर सप्रेम नमस्ते .आप का बहुत बहुत शुक्रिया,इन सुझावों के लिये आभारी रहूँगा।तख़ल्लुस "राज़ "ही है
Comment by Samar kabeer on November 22, 2018 at 5:25pm

जनाब विवेक "राज़" साहिब आदाब, मजरूह की ज़मीन में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

नहीं है कुछ भी ख़बर रोज़-ए-हस्र क्या होगा'

इस मिसरे में 'हस्र' को "हश्र" कर लें ।

' जो कर रहीं हैं सभी साँस की लहरों पे सफ़र'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें ।

एक बात समझ नहीं आई कि आपका तख़ल्लुस "राज़" (raz)  है,फिर आपने प्रोफाइल में "राज"(raj)  क्यों लिखा है?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
5 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
7 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service