For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज के दोहे :.....

चरणों में माँ बाप के, सदा नवाओ शीश।
इनमें चारों धाम हैं, इनमें बसते ईश।। १

पथ पथरीला सत्य का , झूठी मीठी छाँव।
माँ के आँचल में मिले ,सच्चे सुख की ठाँव।। २

पग-पग पर घायल करें, पुष्प वेश में शूल।
दर्पण पर विश्वास के, जमी छद्म की धूल।।३

समय सदा रहता नहीं, जीवन के अनुकूल।
एक कदम पर फूल तो , दूजे पर हैं शूल।।४

शादी करके सब कहें, शादी है इक भूल।
जीवन में न संग मिले, जीवन के अनुकूल।।५

सदा लगे वो शूल सी, जो लगती थी फूल।
'ढाल न पाये हम उसे,जीवन के अनुकूल'।।६

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 733

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 31, 2018 at 6:45pm

जनाब बसंत जी,

जनाब गुमनाम जी,

दो तीन शब्दों की टिप्पणी ओबीओ की परिपाटी नहीं,कृपया रचनाकार को संबोधित करते हुए टिप्पणी दें, यही निवेदन है ।

Comment by Shyam Narain Verma on July 31, 2018 at 5:21pm
बहुत सुन्दर दोहे आदरणीय  । हार्दिक बधाई आपको  सादर 
Comment by Neelam Upadhyaya on July 31, 2018 at 4:46pm

आदरणीय सुशील सरना जी, सुन्दर  रचना की प्रस्तुति।  हार्दिक बधाई। 

Comment by Sushil Sarna on July 31, 2018 at 3:16pm

आदरणीय  gumnaam pithoragarhiजी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 31, 2018 at 3:15pm

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 31, 2018 at 9:40am

बहुत खूब दोहे 

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 31, 2018 at 7:27am

अच्छे दोहे हुए हैं. .. .बधाई ..  .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service