For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आठवीं कक्षा तीसरा पीरीयड नैतिक शिक्षा का चल रहा था। जिंदगी अच्छे से कैसे गुजारी जाए के बारे सवाल मैडम से बच्चे पूछ रहे थे। मैडम सोचती है कि ऐसे सवाल तो हम ने भी पूछे थे,मगर हमारी जिंदगी का हिस्सा क्यूँ नहीं बने, वह सोचने लगी।

अब यही सवाल बच्चे उन से पूछ रहे हैं। क्या ऐसे करने से तबदीली आ सकती व्यहार से मैडम ने अपने आप से सवाल पुछाा।
"मगर जब वह जवाब की कौशिश करती है तो वह सोचती है क्यूँ न हम कहने की जगह करने को कहें,मगर ये तो तभी होगा जब हम खुद करेंगे,उस ने अपने सवाल का खुद को जवाब दिया।"
कुछ बच्चे मैडम की तरफ और कुछ अपनी कापी किताबों में नज़र टिकाये हुए।
अचानक ही कक्षा का माहौल बदल गया।
कुछ देर से सर नीचे करे बैठी ज्योति ने अचानक अजीब सी हरकतें शूरू कर दी।
सभी बच्चों का ध्यान उस की तरफ गया।
ऐसा होते ही मैडम उस के पास आई, और इक दम खुद में हैरान हो गई।
“बच्चो, इसे मैडीकल रूम में ले चलो”,मैडम ने कहा
बच्चे ज्योति को पकड़ मैडीकल रूम में छोड़ बाहर आए ।
तभी मैडम ने ज्योति से पुछा, “क्या तूने नशा लिया है।“
“हाँ, ली  है, अगर आप कहती हैं तो, मैडम जी”।
“आप को ऐसा नहीं करना चाहिए।“
“आप ने कहाँ से लिया, मैडम ने फिर सवाल किया
“घर से”
“आप को पाठशाला से निकाल दिया जायेगा। अगर मुख्य आधियापका को पता चल गया तो।" मैडम ने कहा

“क्यूँ” मुझे क्यूँ ?
“तूने जुर्म किया है।“
“मगर इसकी मुजरिम तो मैं नहीं हूँ”
“कौन है,मुजिरम,मेरा बाप और आप सब, घर लाता है, जो मेरा बाप।

रोटी चाहे लाये या न ये तो आता है।“
“घर में है तो क्या लेना चाहिए”,मैडम ने कहा
“अगर घर में होगा तो दिल कर ही जाता है।“
“मैंने भी ले लिया, ये तो मुझे पता नहीं लेना चाहिए या नहीं ।“ अगर कोई चीज़ बाज़ार में होगी और घर आयेगी तो बच्चों को आदत इसकी होगी।
ये आप बतायें मैडम जी और वह उसकी आँखों में जवाब तलाशने लगी, अपने सवाल का।
जवाब न मिलता देख वह बंद दरवाजे़ की तरफ़ देखने लगी।

मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 29, 2018 at 2:24pm

विषय की सार्थकता को लेकर लघुकथा अच्छी लगी आदरणीय..बाकी आदरणीय समर जी और आदरणीय तेजवीर सिंह जी से मैं भी सहमत हूँ..

Comment by TEJ VEER SINGH on July 26, 2018 at 4:15pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन जी।बेहतरीन प्रयास। आपने विषय तो बढ़िया लिया है लेकिन आप उसे सही तरीके से निभा नहीं पाये।थोड़ा मेहनत करें तो एक बेहतरीन लघुकथा निकल आयेगी।सादर।

Comment by Samar kabeer on July 26, 2018 at 11:59am

जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,लघुकथा का कथानक अच्छा है लेकिन कसावट की कमी है, संवाद भी सटीक नहीं,इस प्रयास पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on July 25, 2018 at 7:15pm

यह सही ही हैं,नशा करने का सामन हर स्थिति के घर में होता हैं,फर्क सिर्फ इतना होता हैं कि उच्च घरानों में शो केस की आड़ में छिपा रहता हैं और निम्न घरों में खुले आम.नशे के आदि दोनों घरों के बच्चे होते हैं.सही कटाक्ष किया गया हैं,नशे के आदि हम परिवार के लोग ही बनाते हैं.बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा ,आदरणीय मोहन सरजी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
1 hour ago
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service