For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अबला नहिं आज रही महिला

दुर्मिल सवैया

अबला नहिं आज रही महिला, सबला बन राज करे जगती।

मुहताज नहीं सब काज करे, मन ओज अदम्य सदा भरती ।।

धरती नभ नाप रही पल में, प्रतिमान नये नित है गढ़ती।

यह बात सभी जन मान गये, अब नार नहीं अबला फबती।१।

परिधान हरा तन धार खुशी, ललना गल धीरज हार गहा।

सिर बाँध दुकूल उमंग नया, मन केशरिया रँग आज लहा।।

शुभ कंगन साहस हाथ भरा, मुख आस सुहास विराज रहा।

पथ उन्नति एक चुना उसने, बिसरे सब पंथ विराग दहा।२।

वसुधा हरसी लखि शान लला, सरसी नभ भोर उजास सनी।

सँवरी खुशहाल धरा विहँसी, महकी सरसों खिल पीत घनी।।

महिला यह चालक ट्रैक्टर की, फिर भारत शान मिसाल बनी।

ढलती रही कालनुसार सदा, वसुधा करती निज नाम धनी।३।

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on July 8, 2018 at 2:06pm

आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी नहीं को नहिं लिखना सवैया  विधान अनुसार मान्य है इस सन्दर्भ में अधिक जानकारी मंच के पटल पर भारतीय छंद विधान सवैया  अंतर्गत उपलब्ध है सादर 

Comment by Satyanarayan Singh on July 8, 2018 at 1:08pm

हृदयतल से आभार आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन

Comment by Satyanarayan Singh on July 8, 2018 at 1:03pm

हृदयतल से आभार आदरणीय बृजेश कुमार जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन

Comment by Satyanarayan Singh on July 8, 2018 at 1:02pm

हृदयतल से आभार आदरणीया नीलम  जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन

Comment by Satyanarayan Singh on July 8, 2018 at 1:00pm

हृदयतल से आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन

Comment by Satyanarayan Singh on July 8, 2018 at 12:59pm

हृदयतल से आभार आदरणीय श्यामनारायण जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन

Comment by Satyanarayan Singh on July 8, 2018 at 12:57pm

हृदयतल से आभार आदरणीय समर कबीर जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन

Comment by नाथ सोनांचली on July 5, 2018 at 3:34pm

आद0 सत्य नारायण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भाव प्रधान सवैया।। इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये। 

एक प्रश्न है,, क्या नहीं को नहि लिखना सही है??

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 30, 2018 at 2:01pm

बहुत ही उत्तम और सरस भाव से परिपूर्ण छंद लिखे हैं आदरणीय..वाह

Comment by Neelam Upadhyaya on June 26, 2018 at 2:16pm

आदरणीय सत्यनारायण जी, नमस्कार ।  बहुत ही सुन्दर  छंद की प्रस्तुति के लिए बधाई।   

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
19 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service