For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देखा, अनदेखा देखा! (लघुकथा) :

17 अप्रैल, 2017 (मंगलवार) [रात नौ बजे]

डियर डायरी!


आज भी मैंने जो कहा-अनकहा सुना था, वैसा ही पाया और देखा भी, अपने इर्द-गिर्द, अपने घर में, समाज और परिवार में ही नहीं‌, पूरे देश और दुनिया में भी! कथनी और करनी में अंतर! एक से बढ़कर एक फेंकू! बदला लेने के पारम्परिक, ग़ैर-पारम्परिक और आधुनिक तौर-तरीक़े! बदलती हवायें, परिभाषाएं, अवसरवादिता और रीति-रिवाज़! रिश्तों की नीरसता और उनकी पोल! मशीनी आदमी का रमण-अमन-दमन-चलन और प्रकरण ! ख़रीद-फ़रोख़्त!  आधुनिक बड़प्पन और बोनापन! खुशियों का व्यापारीकरण या ख़शियों के पेड़ की बोनसाई प्रजाति की तथाकथित रिश्तेदारी से ख़ुश होते लोग!


मुआफ़ करना! मुआ अपने को ज़माने के हिसाब से नहीं बदल पा रहा या यूं कहूं कि नहीं बदल सकता! सच तो यह है कि ऐसा या वैसा बनना या होना मैं चाहता ही नहीं! कहते हैं कि सब कुछ बदल रहा है? कैसे? जो अपेक्षित था, वह बदलाव या जो अनपेक्षित था, वह? लगता है कि द्रुत प्रगति के चक्कर में सब कुछ बिक रहा है अपेक्षित और अनपेक्षित भी! ईमान और बेईमान भी! अपने और पराये भी! अपना और पराया भी! इंसान, शैतान और हैवान भी!


सुना था कि मशीनें भी कठपुतली हुआ करतीं हैं, लेकिन सजीव मशीनें भी इतनी स्मार्ट कठपुतलियां हो जाया करती हैं! आज मैंने भी देखा जो अब तक न देखा और मेरे तीसरे नेत्र ने अनदेखा भी देखा!


शेष फिर लिखूंगा, यदि बहुरूपिए, बहुआयामी प्रदूषण में ज़िंदा बच सका, तो! लिखने को प्रेरित किया गया, तो! किसी तरह का बेन थोपा गया, तो भी!

तुम्हारा अभिन्न
अभिलाष

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 398

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 18, 2018 at 8:53pm

मेरी इस रचना पर भी आपकी त्वरित टिप्पणी, आश्वासन, अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया नीलम उपाध्याय जी और आदरणीय समर कबीर जी

Comment by Samar kabeer on April 18, 2018 at 2:47pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत ख़ूब वाह, उम्दा लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 18, 2018 at 11:15am

आदरणीय उसमानी जी, नमस्कार । बहुआयामी प्रदूषण आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, ऐसा विश्वास है । बढ़िया लघुकथा । प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
13 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
22 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service