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पञ्चचामर छंद ( ज र ज र ज गा )

निशुंभ शुम्भ मर्दिनी , जया त्रिकूट वासिनी |

शिवा प्रिया महातपा , सुधीर माँ सुहासिनी ||

विराट भाल दिव्य शक्ति मुंडमाल धारिणी |

कृपालु दृष्टि भाविनी नमामि लोक तारिणी ||

विशाल भाल चंद्रिका सुदीर्घ नेत्र शान हैं |

कृपालु मातु शीश केश यामिनी समान हैं ||

कपोल हैं भरे -भरे व होंठ लाल –लाल हैं |

विराट रूप देख मातु भक्त भी निहाल हैं ||

विशाल रक्तबीज अंत मातु तेग से किया |

विनाश चंड मुंड का प्रचंड वेग से किया ||

तजे अहं मनुष्य माँ कृपालु दृष्टि डाल दे |

विवेकशील तू हमें विकारहीन भाल दे ||

मौलिक व अप्रकाशित.

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on March 23, 2018 at 10:09am

सुंदर भक्ति रचना, जय माँ शारदे 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 23, 2018 at 6:41am

समय के अनुसार बहुत बढ़िया उम्दा सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीया अनामिका सिंह

''अना' जी।

Comment by Mohammed Arif on March 22, 2018 at 4:36pm

आदरणीया अनामिका जी आदाब,

                          शारदीय नवरात्र को लक्ष्य में रखकर बेहतरीन छंदों की रचना। सरलतम शब्दों का प्रयोग भी किया जा सकता था । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on March 22, 2018 at 3:10pm

मोहतरमा अनामिका सिंह 'अना' जी आदाब,बहुत अच्छे छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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