For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1212 1122 1212 22

गुजर गया वो गली से सदा नहीं देता ।
हमें तो प्यार का सौदा नफा नहीं देता ।।

मैं भूल जाऊं तुझे अलविदा भी कह दूं पर ।
मेरा जमीर मुझे मश्विरा नहीं देता ।।

गवाही देतीं ।हैं अक्सर ये हिचकियाँ मेरी ।
तू ।मेरी याद को बेशक मिटा नहीं देता ।।

यकीन कर लें भला कैसे उसकी चाहत पर ।
वो शख्स घर का हमें जब पता नहीं देता ।।

नई नई है जवानी नया नया है बदन ।
मगर वो चाँद से पर्दा हटा नहीं देता ।।

सँभल के चलना जरा शह्र यह अलग सा है।
यहाँ कोई किसी को मश्विरा नहीं देता ।।

अजीब बात है गुलशन में फूल हैं लाखों।
जो दिल को भाया वही गुल खुदा नही देता ।।

बड़े ही नाज़ से आये थे तेरी महफ़िल में ।
मगर तू हमको भी कोई सिला नहीं देता ।।

हो आसमान में सूराख भी बता कैसे ।
तेरा जवाब मुझे हौसला नहीं देता ।।

हमें खबर है अदालत खरीद ली साहिब ।
कोई भी आपको देखो सजा नहीं देता ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अ प्रकाशित 

Views: 448

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 6, 2018 at 10:03pm

आ0 कबीर सर सादर प्रणाम आपकी इस्लाह को नमन करता हूँ । अभी एडिट करता ।

Comment by Samar kabeer on March 6, 2018 at 6:10pm

आख़री शैर का सानी मिसरा यूँ करलें :-

'कोई भी आपको देखो सज़ा नहीं देता'

"ख़ता" दी नहीं जाती,की जाती है ।

इतनी मिहनत के बाद भी ग़ज़ल आपने ऐडिट नहीं की तो अफ़सोस होगा ।

Comment by Samar kabeer on March 6, 2018 at 2:48pm

मतले के ऊला मिसरे में 'हवा' क़ाफ़िया की जगह "सदा" कर लें ।

दूसरे शैर के सानी मिसरे में शिल्प कमज़ोर है, यूँ कर सकते हैं :-

'मेरा ज़मीर मुझे मश्विरा नहीं देता'

तीसरे शैर के ऊला मिसरे में शिल्प कमज़ोर है, यूँ करलें :-

'गवाही देती हैं अक्सर ये हिचकियाँ मेरी'

4था शैर यूँ कर लें :-

'यक़ीन कर लें भला कैसे उसकी चाहत पर

वो शख़्स घर का हमें जब पता नहीं देता'

छटे शैर में 'मसबरा' को "मश्विरा" कर लें ।

आठवें शैर का सानी मिसरा यूँ कर लें :-

'मगर तू हमको वफ़ा का सिला नहीं देता'

9वें शैर के ऊला में सही शब्द है "सूराख़",ऊला मिसरा यूँ कर लें :-

'हो आसमान में सूराख़ भी बता कैसे'

और सानी में 'जबाब' को "जवाब' कर लें ।

आख़री शैर का क़ाफ़िया सही नहीं ।

Comment by Samar kabeer on March 6, 2018 at 12:06pm

आपकी ग़ज़ल में बहुत काम है,कम से कम आधा घण्टा लगेगा, दोपहर में आता हूँ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 5, 2018 at 11:12pm

आ0 हर्ष महाजन साहब सप्रेम आभार

Comment by Harash Mahajan on March 5, 2018 at 2:55pm

"यकीन कर लें भला कैसे इस मुहब्बत पर ।
वो शख्स घर का हमें अब पता नहीं देता ।।"

वाह आदरणीय जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी बहुत खूबसूरत हसासों से परिपूर्ण ग़ज़ल हुई है ।बहुत बहुत बधाई ।

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service