कभी तो मेरा प्यार तुम्हे याद आयेगा ,
कभी तो तुम्हारा दिल मेरे लिए तड़पेगा ,
जैसे की आज मै तड़पता हूँ, ,
सुबह को न सही, दोपहर को न सही ,
शाम को न सही ,रात को न सही ,
अपने मिलन की कोइ घडी तो याद आएगी ?
जब कोइ तुम्हारा दिल दुखायेगा ,
तब मेरा प्यार याद आयेगा ,
कभी तो तुम्हारा दिल तड़पेगा ?
जैसे आज मै तड़पता हूँ, ,
तुम मेरे बेगैर एक पल भी नहीं रह पाते थे ,
मुझे न देखने पर बेचैन हो जाते थे ,
अब ओ प्यार कहाँ गया ?
अब ओ बेचैनी कहाँ गयी ?
प्यार कभी मरता नहीं यैसी बोल गए ,
प्यार की प्यास में तड़पता क्यूँ छोड़ गए ??
तुमसे मिलने हम तब आते ,
जब सो रहा होता सारा जहाँ ,
तुझमे भी ओ तड़प होती थी ,
अब ओ चाह खो गयी कहाँ ?
तुम्हें छोड़ जाना ही था तो ,
क्यूँ मिलन की प्रीत जगाई थी ?
दिल का सकूँ लेना ही था तो ,
क्यूँ मेरे दिल में आग लगाई थी ?
जिस गलियों में हम मिला करते थे ,
वे गलियाँ आज बहुत सुनी है ,
क्या वह गली तुम्हें याद नहीं आती ?
मै आज कितना तड़पता हूँ ,
आज मै कितना दुखी हूँ ,
मेरा मन बेहद उदास है ,
कुछ भी नहीं है पास और ना ही तुम्हारा साथ है ?
कुछ बूंद आंसू बचे है इन आँखों में , और मै निराश हूँ
Comment
धन्यवाद सुरेन्द्र जी .............!!
आपको भी मेरी तरफ से जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाये
जब कोइ तुम्हारा दिल दुखायेगा ,
तब मेरा प्यार याद आयेगा ,
कभी तो तुम्हारा दिल तड़पेगा ?
जैसे आज मै तड़पता हूँ, ,
तुम मेरे बेगैर एक पल भी नहीं रह पाते थे ,
मुझे न देखने पर बेचैन हो जाते थे ,
अब ओ प्यार कहाँ गया ?
प्रिय संजय जी सच में प्यार सच्चा हो और फिर वफ़ा न हो तो मन बोझिल हो जाता है बमुश्किल ही सम्हल पाता है आप का सब का प्यार मिले अगर परिस्थितियाँ ले बढ़ी हों प्रियतम को दूर तो फिर भुलाने की चेष्टा ही करना अच्छा होता है आइये हम वास्तु स्थिति पता कर ही किसी पर इल्जाम शिकवा गिला करें .... निराशा राह नहीं है
संजय जी बहुत सुंदर और उम्दा रचना ! कोटिश बधाइयाँ स्वीकार हो ! ऐसे ही उन्मुक्त होके लिखते रहे ! बहुत अच्छा लगा !
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