For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1122 1122 22

जहर कुछ जात का लाओ तो कोई बात बने ।

आग मजहब से लगाओ तो कोई बात बने ।।

देश की शाख़ मिटाओ तो कोई बात बने ।

फ़स्ल नफ़रत की उगाओ तो कोई बात बने ।।

सख़्त लहजे में अभी बात न कीजै उनसे।

मोम पत्थर को बनाओ तो कोई बात बने ।।

अब तो गद्दार सिपाही की विजय पर यारों ।

याद में जश्न मनाओ तो कोई बात बने ।।

जात के नाम अभी तीर बहुत तरकस में ।

अम्न को और मिटाओ तो कोई बात बने ।।

बस सियासत में अटक जाए न वो बिल वाजिब ।

शोर संसद में मचाओ तो कोई बात बने ।।

इस तरह फर्ज निभाने की जरूरत क्या है ।

साथ ता उम्र निभाओ तो कोई बात बने ।।

रस्म करते हो अदा खूब ज़माने भर की ।

हाथ दिल से जो मिलाओ तो कोई बात बने ।।

जिंदगी कर्ज चुकाने में गुज़र जाती है ।

चैन कुछ ढूढ़ के लाओ तो कोई बात बने ।।

कर गई तुझको जो मशहूर मुक़द्दर बनकर ।

वो ग़ज़ल आज सुनाओ तो कोई बात बने ।।

घर जलाना तो बड़ी बात नहीं है साहिब ।

एक घर अपना बनाओ तो कोई बात बने ।।

यूँ दिवाली के चिरागों से भला क्या होगा ।

ज्ञान का दीप जलाओ तो कोई बात बने ।। -

--नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अ प्रकाशित 

Views: 567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on January 8, 2018 at 4:14pm

बहुत बहुत आभार सर

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 8, 2018 at 3:00pm

भाई मनोज अहसास जी सप्रेम आभार । ग़ज़ल का प्रत्येक शेर अपने आप मे स्वतन्त्र रचना रचना के समान होता है । किसी शेर का सम्बंध दूसरे शेर से हो यह ग़ज़ल विधा में आवश्यक नहीं माना गया है । इसलिए हर शेर में रदीफ़ एक ही बात का समर्थन करे यह आवश्यक नहीं हैं । 

Comment by मनोज अहसास on January 8, 2018 at 7:17am

बहुत खूब ग़ज़ल हुई है सर

एक जिज्ञासा है

आपने पूरी ग़ज़ल में रदीफ़ 'कोई बात बने' को दो अर्थों में लिया है एक तो व्यंग्य के रूप में कुरीतियों कुनीतियों पर प्रहार किया है 

दूसरे आपने उसे प्रसंसात्मक रूप में लिया है 

मुझे ये थोड़ा अजीब लग रहा है

थोड़ा प्रकाश डालने की कृपा करें

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 5, 2018 at 6:51am

हार्दिक बधाई।

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 4, 2018 at 10:27am

आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब विशेष आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 4, 2018 at 10:27am

आ0शेख शहजाद साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 4, 2018 at 10:03am

बहुत ही विचारोत्तेजक, व्यंगात्मक यथार्थपूर्ण अशआर के साथ बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी। इस दौर में ऐसी रचनाओं की हम सबको बहुत ज़रूरत है। कृपया मंच पर अन्य विधाओं की रचनाओं का भी अवलोकन कर टिप्पणियों से हमें लाभान्वित कीजिए। सादर।

Comment by Shyam Narain Verma on January 4, 2018 at 9:30am
बहूत उम्दा हार्दिक बधाई, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
8 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
8 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
15 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
yesterday
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service