For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - घाट पर सोया मिलूँगा ये बता देता हूँ मैं

2122 2122 2122 212

आज अपना सारा ईगो ही जला देता हूँ मैं
बर्फ़ रिश्तों पर जमी उसको हटा देता हूँ मैं

मेरे होने की घुटन तुमको न हो महसूस अब
ज़िन्दगी खोने का खुद को हौसला देता हूँ मैं

नाम दूँ बदनामियाँ दूँ, मेरे वश में है नहीं
सो मेरे होठों को चुप रहना सिखा देता हूँ मैं

तेरे चहरे पर शिकन संकोच अब आए नहीं
इसलिए सौगात में अब फ़ासला देता हूँ मैं

कुछ नहीं बस हार इक ला कर चढ़ा देना प्रिये
घाट पर सोया मिलूँगा ये बता देता हूँ मैं

मौलिक अप्रकाशित

Views: 922

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 2, 2018 at 9:56pm

अज़ीज़म,मतले के ऊला मिसरे में 'मेरे' शब्द को निकालने के लिए ही मैंने मिसरा सुझाया था,क्योंकि रदीफ़ 'हूँ मैं' है,इस लिहाज़ से 'अपने'शब्द रखा था,फिर से ग़ौर करें :-

'आज अपने सारे ख़्वाबों को जला देता हूँ मैं'

और जो आपने सानी मिसरे में 'मिटा' क़ाफ़िया लिया है वो भी सही नहीं है,क्योंकि 'बर्फ़' शब्द के साथ 'मिटा' नहीं "हटा" शब्द मुनासिब होगा,ग़ौर करें ।

आख़री शैर के सानी मिसरे में ऊपर के क़वाफ़ी तब्दील होने के बाद,अब क़ाफ़िया ठीक है ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2018 at 8:59pm

संशोधन के साथ फिर प्रस्तुत

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2018 at 5:35pm

आदरणीय सुरेंद्र सर सेादर अभिवादन, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2018 at 5:33pm

आदरणीय तस्दीक सर ग़ज़ल को अपना आशीर्वाद प्रदान करने के लिए बहुत-बहुत आभार 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2018 at 5:32pm

आदरणीय बाबूजी  सादर प्रणाम आपका सुझाव सर्वथा उचित है अभी ढूंढता हूं कि क्या सुधारा जा सकता है 

Comment by Samar kabeer on January 2, 2018 at 5:28pm

जनाब तस्दीक़ साहिब, "यह बता" कैसे किया जा सकता है,क़ाफ़िया तो "ला" का है?

Comment by नाथ सोनांचली on January 2, 2018 at 3:52pm

आद0 पंकज मिश्र जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने, बहुत दिन आप मंच पर भी आये। नव वर्ष की शुभकामनाओ संग शैर दर शैर मुबारकबाद कुबूल करें। सादर।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 2, 2018 at 3:24pm

जनाब पंकज साहिब ,अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

आखरी शेर के सानी मिसरे में शब्द इत्तलाअ की जगह (यह बता)  किया जा सकता है ।

Comment by Samar kabeer on January 2, 2018 at 2:14pm

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले का ऊला मिसरा मेरे ख़याल से यूँ कहना बहतर होगा :-

'आज अपने सारे ख़्वाबों को जला देता हूँ मैं'

आख़री शैर में क़ाफ़िया दोष है,सही शब्द है "इत्तिलाअ",देखियेग ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2018 at 12:25pm

आदरणीय अफ़रोज़ जी सादर आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
42 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
42 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
14 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
14 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं.…"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार दोनों ही कुण्डलिया छंद आपने सुन्दर रचे हैं.…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service