For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मृत्यु भोज - लघुकथा –

मृत्यु भोज - लघुकथा –

राघव के स्वर्गीय पिताजी का तीसरा संपन्न हुआ था अतः सारे परिवार के सदस्य आगे क्या करना है, इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे।

"क्यों राघव, तेरहवीं का क्या सोचा है? हलवाई बगैरह तय कर दिया या मैं किसी से बात करूं"?

"ताऊजी, आपको तो पता ही है कि पिताजी इन सब पाखंडों के खिलाफ़ थे। और मृत्यु भोज तो उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसीलिये माँ की मृत्यु पर उन्होंने हवन किया और अनाथालय के बच्चों को भोजन कराया था"।

"देख बेटा, तेरे पिता तो चले गये। उनके रीति रिवाज़ और आदर्श भी उनके साथ चले गये"।

"ताऊजी, साफ साफ बताइये , आप क्या चाहते हैं "?

"बेटा मेरा मतलब तो केवल यह है कि अब समाज में तुम्हें रिश्ते निभाने हैं। तुम्हारे कार्य ही तुम्हें समाज में नाम और इज्जत देंगे। तेरहवीं पर मृत्यु भोज नहीं करोगे तो लोग तरह तरह की बातें करेंगे कि देखो कैसी औलाद है , साधन संपन्न होते हुये भी, बाप की आत्मा की शांति के लिये मृत्यु भोज भी नहीं कराया"।

"ठीक है ताऊजी, जैसी आप लोगों की इच्छा"|

सब लोग जा चुके थे। राघव अभी भी इसी उधेड़्बुन में उलझा हुआ था।

उसकी नज़र सामने पिताजी की मुस्कराती तस्वीर पर पड़ी।

अनायास राघव उसके सामने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया,"पिताजी, आप ही मुझे राह दिखाइये? मेरी उलझन सुलझाइये? मैं बहुत भ्रमित हूँ। एक तरफ़ आपके उसूल और सिद्धाँत। दूसरी ओर समाज और रिश्तेदारों का दवाब। मुझे क्या करना चाहिये"?

राघव को लगा जैसे पिताजी ने उसके सिर पर हाथ रखा हो,"राघव बेटा, तुम अपने जीवन के मालिक हो। मैंने जो कुछ किया, उसका परिणाम भी मैंने झेला। सब को जवाब दिये। जो मुझे उचित लगा, वही किया। मुझे अपने निर्णयों से शांति मिली। अब तुम अपने फ़ैसले निडर होकर खुद करो। किसी पर आश्रित होने की आवश्यकता नहीं"।

राघव को जवाब मिल चुका था।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 822

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on December 16, 2017 at 10:34am

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।

Comment by Nita Kasar on December 15, 2017 at 9:28pm

परंपरायें जब बेडिया बन जायें तो तब उन्है तोड़ देना बेहतर ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 14, 2017 at 7:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 14, 2017 at 7:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।आपकी सार्थक टिप्पणी का सदैव इंतज़ार रहता है।

Comment by vijay nikore on December 14, 2017 at 4:03pm

बहुत ही सुन्दर लघु कथा के लिए बधाई, आ० तेज वीर सिंह जी।

Comment by Samar kabeer on December 14, 2017 at 3:04pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहतरीन लघुकथा,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 13, 2017 at 6:52pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on December 13, 2017 at 11:50am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, आज के समाज में दिखावट के चलन पर चोट करती बहुत ही अच्छी ल्रचना । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 13, 2017 at 9:57am

हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 13, 2017 at 9:57am

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service