For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बापू की जय(लघु कथा)

-काम हो जायेगा?
-पक्का।
-कोई चूक न हो।
-नहीं होगी भइये।
-पिछली बार हो गयी थी।
-अबकी बार गलती की गुंजाइश नहीं है।
-नजराना भी तो एक कोटि हो गया।
-उफ्फ, महंगाई !क्या करें?मुँह मत खोलना।
-ठीक,पर मेरा लल्ला डी एम हो तो जाये।
-हो जायेगा।बापू की मूर्त्ति के नीचे खड़ा हूँ।झूठ नहीं बोलूँगा।
-राम-राम भाई!
'बापू की जय', बोल दोनों चलते बने।
" मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 872

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on December 12, 2017 at 1:15pm

आदरणीय मनन जी,

इस बेहतरीन कथा-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाईयाँ.

सादर   

Comment by Manan Kumar singh on December 11, 2017 at 8:00pm

आभारी हूँ आदरणीय नादिर भाई।

Comment by Manan Kumar singh on December 11, 2017 at 7:59pm

बेहद उत्साहपरक टिप्पणी के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय उस्मानी जी,आदाब।

Comment by Manan Kumar singh on December 11, 2017 at 7:57pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय समर जी, नमन।

Comment by नादिर ख़ान on December 11, 2017 at 5:28pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय मनन कुमार जी बधाई स्वीकारें | 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 11, 2017 at 3:59pm

 हो गया काम !!!

बेहतरीन कटाक्षपूर्ण लघुकथा ने कर दिया अपना पूरा काम !!! क्या ख़ूब वातावरण/परिवेश बनाया है भ्रष्टाचार पर तीखे कटाक्ष के लिए !!! तथ्यों पर बेहतरीन कुशन !! तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मनन कुमार सिंह   Manan Kumar singhसाहिब।

Comment by Samar kabeer on December 11, 2017 at 2:26pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,कम शब्दों में बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,बहतरीन तंज़,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Manan Kumar singh on December 11, 2017 at 9:17am

आपका आभार आदरणीय आरिफ भाई!लघु कथा है,कविता नहीं।

Comment by Mohammed Arif on December 11, 2017 at 8:10am

आदरणीय मनन कुमार जी आदाब,

                           रिश्वत-भ्रष्टाचार को रेखांकित करती बेहतरीन कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service